वाराणसी। आज सावन का अंतिम सोमवार (Last Sawan Somwar 2025) है। आज सुबह से ही प्रदेश के सभी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। रात 12 बजे से ही मंदिरों के मुख्य द्वार से कतार लगनी शुरू हो गई है। वहीं अगर काशी विश्वनाथ मंदिर कि बात की जाए तो वहां सामान्य दिनों में लाखों से ज़्यादा लोग प्रतिदिन दर्शन करते है। सावन के अंतिम सोमवार के दिन तो ये आंकड़ा लागभग दुगुना हो जाता है।
श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई
श्रावण माह, प्रभात की पवित्र वेला में श्री काशी विश्वनाथ की मंगला आरती की गई। इस दौरान श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा (Last Sawan Somwar 2025) की गई है। अंतिम सावन सोमवार को काशी में भक्ति का अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिल रहा है। बारिश भी आज श्रद्धालुओं के हौसले को रोक नहीं पा रही है। आज के दिन विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने का बहुत महत्व होता है। सुबह 5 बजे से ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओ के लिए खोल दिये गए है।
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कैसे करें रुद्राभिषेक
सावन के अंतिम सोमवार को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत व रुद्राभिषेक का संकल्प लें। शिवलिंग को साफ करके बेलपत्र, अक्षत, फूल, धतूरा, भांग, गंगाजल आदि अर्पण के लिए तैयार रखें. पूजा स्थान पर दीपक और धूप जलाएं। शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक करें।अभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय” या “रुद्राष्टक स्तोत्र” का जप करें। चाहें तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप (Last Sawan Somwar 2025) भी कर सकते हैं। दिनभर व्रत रखें और शाम को फलाहार लें. भोग में शुद्ध फल या मीठा अर्पित करें।
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अभिषेक में निम्न पदार्थों का प्रयोग करें
जल और गंगाजल (पवित्रता के लिए)
दूध (शांति और शुद्धता के लिए)
दही (संतान सुख हेतु)
शहद (मधुरता और प्रेम हेतु)
घी (स्वास्थ्य और बल हेतु)
शक्कर या चीनी (संपन्नता के लिए)
बेलपत्र, आक, धतूरा आदि भी चढ़ाएं.
मंत्रोच्चार
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