नई दिल्ली। पूजा खेडकर प्रकरण ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को लेकर लोगों के दिलों-दिमाग में बनी धारणाओं को तोड़ दिया है. आलम यह रहा कि यूपीएससी के अध्यक्ष डॉ. मनोज सोनी को निजी कारण बताते हुए इस्तीफा देना पड़ गया. अब गिरी हुई साख को बचाने के लिए यूपीएससी कदम उठाने जा रहा है, जिसमें परीक्षाओं के दौरान नकल, धोखाधड़ी और जालसाजी के खिलाफ उपायों को बढ़ाने के लिए नवीनतम डिजिटल बायोमेट्रिक तकनीकों का उपयोग शामिल है. इसे भी पढ़ें : दवा और उपकरण खरीदी में अनियमितता का मामला सदन में गूंजा…

यूपीएससी परीक्षा के लिए आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और चेहरे की पहचान प्रणाली, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करने के साथ क्लोज्ड सर्किट टेलीविज़न (CCTV) निगरानी जैसे तकनीकी समाधानों के माध्यम से आयोग अपनी परीक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसके लिए जरूरी सामग्रियों की खरीदी के लिए निविदाएँ आमंत्रित की हैं.

यूपीएससी हर साल 14 परीक्षाएँ आयोजित करता है, जिसमें सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) और भारत सरकार के ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ पदों पर भर्ती के लिए कई भर्ती परीक्षाएँ और साक्षात्कार शामिल हैं.

सीएसई 2023 के लिए 10.1 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया था और लगभग 5.9 लाख उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए थे. यूपीएससी प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित अन्य में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश करने के लिए सीएसई आयोजित करता है.

यूपीएससी ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान आवेदकों द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा और छवियों को परीक्षा के दिन उम्मीदवारों को सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और चेहरे की पहचान प्रणाली के लिए सेवा प्रदाता को प्रदान करेगा. इसमें कहा गया है कि नकल के प्रयासों को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों पर फिंगरप्रिंट स्कैनर और चेहरे की पहचान करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा.