भोपाल. मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में ढाई हजार एकड़ क्षेत्र में बहुमूल्य धातु यूरेनियम का पता चला है. भारत का परमाणु विभाग इस यूरेनियम की तलाश छत्तीसगढ़ में भी कर रहा था, लेकिन सफलता मिली मध्य प्रदेश में. यूरेनियम का उपयोग परमाणु और बिजली बनाने में किया जाता है.

बैतूल के सारनी क्षेत्र में कई दिनों तक दर्जनों गांवों के ऊपर उड़न खटोले के उड़ने से अजीब सा माहौल बना हुआ था. लोग समझ नहीं पा रहे थे, आखिर यह हेलीकॉप्टर उनके गांवों के चक्कर क्यों लगा रहा है. आखिरकार इस उड़न खटोले के गांवों के ऊपर उड़ने का राज खुल गया है.

दरअसल यह हेलीकॉप्टर जिले में यूरेनियम की खोज कर रहा था. घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में लगभग एक माह तक यूरेनियम की खोज का काम भारत सरकार के माध्यम से किया गया है. खोज के कार्य में जूटे कर्मचारियों और अधिकारियों की माने तो घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में लगभग ढाई हजार एकड़ में यूरेनियम की मात्रा पाई गई है. लेकिन इसे पब्लिक सेक्टर में आने में लगभग 10 से 12 वर्ष का समय लग सकता है.

सर्वे के बाद संपूर्ण डाटा भोपाल दिया जाएगा और यह डाटा भोपाल से दिल्ली जाएगा. उसके बाद किन-किन स्थानों पर यूरेनियम है, उसे चिन्हित किया जाएगा, उसके बाद ही इसे बाहर निकालने का कार्य किया जाएगा. इन सभी कार्यों को पूरा करने में लगभग 10 से 12 वर्ष का समय लग सकता है.

मध्यप्रदेश में संभवत पहली बार यूरेनियम पाया गया है. जिससे प्रदेश का महत्व बढ़ जाएगा. यूरेनियम पर्याप्त मात्रा में मिलने से बिजली के क्षेत्र में भारत की दावेदारी और बढ़ेगी और मध्य प्रदेश का महत्व और भी अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक होगा.

आपको बता दें, परमाणु खनिज निदेशालय ने मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के सूरजपुर तथा राजनांदगांव में भी इस दुर्लभ खनिज की तलाश शुरु की थी.