अमेरिकी नागरिक जॉन एलन की हत्या के बाद मछुआरों ने पुलिस को बताया कि वे 14 नवंबर को सेंटिनेलिस द्वीप पर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो असफल रहे. सेंटिनेलिस समुदाय के बारे स्थानीय लोगों के माध्यम से पता चला कि वो बाहरी दुनिया के संपर्क में रहना पसंद नहीं करते हैं.
पोर्ट ब्लेयर/नई दिल्ली: अंडमान निकोबार के नार्थ सेंटीनल आयलैंड में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे एक अमेरिकी नागरिक की संरक्षित आदिवासियों ने कथित तौर पर तीर मारकर हत्या कर दी है. पुलिस ने बताया कि जॉन एलन चाऊ (27) की 17 नवंबर को सेंटेनलीज आदिवासियों ने हत्या कर दी. अंडमान निकोबार पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी जतिन नरवाल ने कहा कि ऐसी आशंका है कि उनका शव गत सप्ताह जमीन में दफना दिया गया. इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 और 304 के तहत हमफ्रीगंज पुलिस थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई और अमेरिकी नागरिक को द्वीप तक ले जाने वाले सात मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया गया.
जानकारी के मुताबिक, भारत में एडवेंचर ट्रिप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह घूमने आए एक अमेरिकी नागरिक की अंडमान में कथित तौर पर हत्या कर दी गई. जॉन एलन उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर गया था, जहां स्थानीय जनजातीय समुदाय (सेंटिनेलिस) के लोगों ने उसकी हत्या कर दी. बताया जा रहा है कि करीब एक हफ्ते पहले अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ स्थानीय मछुआरों की मदद से सेंटीनेलिस समुदाय के लोगों से मिलने पहुंचा था, लेकिन वापस नहीं लौटा. सेंटिनेलिस एक जनजातीय समुदाय है, जो दक्षिण अंडमान के उत्तरी सेंटिनल द्वीप में रहता है.
सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी जबकि अमेरिकी दूतावास इस व्यक्ति को अभी ‘लापता’ ही मान रहा है. अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने बताया, हमें इस बात की जानकारी है कि एक अमेरिकी नागरिक अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर है. अमेरिका के लिए अपने नागरिकों का कल्याण और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि जब कोई अमेरिकी नागरिक लापता हो जाता है, तो हम स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर उसे तलाशने की कोशिश करते हैं. निजता को ध्यान में रखकर हम इस बारे में और आगे टिप्पणी नहीं करेंगे.
अमेरिकी नागरिक जॉन एलन की हत्या के बाद मछुआरों ने पुलिस को बताया कि वे 14 नवंबर को सेंटिनेलिस द्वीप पर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो असफल रहे. सेंटिनेलिस समुदाय के बारे स्थानीय लोगों के माध्यम से पता चला कि वो बाहरी दुनिया के संपर्क में रहना पसंद नहीं करते. पहले प्रयास में असफल होने के दो दिन बाद यानि 16 नवंबर को जॉन पूरी तैयारी के साथ फिर से द्वीप पर पहुंचे, इस दौरान उन्होंने अपनी नाव बीच रास्ते में ही छोड़ दी और टेंट के साथ थोड़ा और सामान लेकर द्वीप में प्रवेश कर गए. स्थानीय मछुआरों ने बताया कि जॉन ने जैसे ही द्वीप में कदम रखा सेंटिनेलिस समुदाय के आदिवासियों ने उन पर तीर-कमान से हमला कर दिया गया.
जॉन की हत्या करने के बाद सेंटिनेलिस समुदाय के लोग उनके शव को रस्सी में बांधकर घसीटते हुए समुद्र तट तक ले गए और शव को रेत में दफना दिया. इस घटना को देखकर मछुआरे वहां से डरकर भाग गए. अगले दिन सुबह जब वो उस जगह पहुंचे तो उन्होंने देखा कि जॉन का शव समुद्र किनारे पड़ा था, लेकिन मछुआरे उस शव को अपने साथ लाने की हिम्मत नहीं कर सके. डरे हुए मछुआरे राजधानी पोर्ट ब्लेयर पहुंचे और मामले की जानकारी जॉन के दोस्त और स्थानीय उपदेशक एलेक्स को दी. एलेक्स ने अमेरिका में रहने वाले जॉन के घरवालों को पूरी घटना के बारे में बताया, इसके बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से मदद मांगी.
दूतावास में जॉन के घर वालों तक उनकी मृत्यु का संदेश पहुंचा और अमेरिकी अधिकारियों की शिकायत के बाद पुलिस ने उन सातों मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया जिनके साथ जॉन उस प्रतिबंधित द्वीप गए थे. पुलिस अधिकारियों ने जॉन का शव खोजने के लिए हेलीकाप्टर भेजा, लेकिन वे सेंटिनेलिस समुदाय के हमले की वजह से द्वीप पर हेलीकाप्टर नहीं उतार सके. जॉन के उपदेशक मित्र एलेक्स ने पुलिस को बताया कि जॉन पिछले कई सालों में कई बार अंडमान आ चुके थे. वो खुद भी उपदेशक थे, जो सेंटिनेलिस समुदाय से बातचीत करके उनका धर्म परिवर्तन करवाना चाहते थे. स्थानीय लोगों से पता चला कि सेंटिनेलिस समुदाय का ये इलाका प्रतिबंधित क्षेत्र है यहां पर जाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है.
पुलिस ने बताया कि जॉन को जो सात मछुआरे उत्तरी सेंटिनेलिस द्वीप ले गए थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. इस जनजाति और इस इलाके को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है, और जॉन बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के यहां पहुंचे थे इसलिए अब इस मामले पर कानूनी कार्रवाई भी नहीं होगी. उन्होंने सेंटिनेलिस समुदाय के लोगों से मिलने की इच्छा जताते हुए मछुआरों को उनके पास ले जाने के लिए राजी कर लिया था.
आपको बता दें कि उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर बाहरी लोगों का जाना मना था. इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने संघ शासित इलाकों में इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को 31 दिसम्बर, 2022 तक प्रतिबंधित क्षेत्र आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था. आरएपी को हटाने का आशय यह हुआ कि विदेशी लोग सरकार की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जा सकेंगे.