देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य, समुदाय और सनातन संस्कृति को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कांग्रेस को सनातनी और भाजपा को महज एक तनातनी करार दिया। हरीश रावत ने कहा कि राज्य या समुदाय अपनी संस्कृति के प्रतीक चिन्हों को संरक्षित नहीं कर सकता है तो वह अपने गौरवशाली इतिहास के साथ अपना संबंध खो देता है। कांग्रेस की सरकार ने इस आवश्यकता को बहुत गंभीरता से महसूस किया।

भाजपा के लोग परंपरावादी नहीं मानते

हरीश रावत ने बताया कि हमारी सरकार ने पुराने सभी प्रतीकों को जिनमें वाद्य यंत्र भी सम्मिलित हैं। उन्हें संग्रहालयों में एक चितई, अल्मोड़ा (कुमाऊं) में दूसरा टिहरी (गढ़वाल) में स्थापित किया। हमने एक सलाहकार मंडल का गठन किया जो इस क्षेत्र में तह में जाकर काम कर सकें और ऐसे संग्रहालयों को मूर्त रूप दे सकें। यशोधर मटवाल अपने स्तर पर इस भगीरथ काम को किसी भी सरकार से बेहतर तरीके से करने में लगे हुये हैं। मगर हमने इसे सरकार का भी कर्तव्य समझा और इस दिशा में कदम उठाये। इसके बाद भी भाजपा के लोग हमको परंपरावादी नहीं मानते हैं।

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पूर्व सीएम ने कहा कि जो परंपरावादी होगा, वह सनातनी भी होगा। क्योंकि सनातन की विशेषता ही यह है कि वह परंपराओं के आधार पर आगे बढ़ाएं तो भाजपा के मित्र यह आपसे हमारे विषय में कुछ कहें तो उनसे इस विषय में जरूर राय पूछ लीजिएगा कि आप जिस काम को नहीं कर सके, उस काम को तो हरीश रावत की सरकार ने किया है । इसलिए मैं कहता हूं कि हम सनातनी है और भाजपा महज केवल तनातनी है।

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