देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने पंचायत चुनाव को लेकर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद नारायण दत्त तिवारी की सरकार के समय 24 फरवरी 2003 में स्वच्छ , निष्पक्ष और पारदर्शी त्रि- सतरीय पंचायत चुनावों को सम्पन्न कराने के उदेश्य से तत्कालीन राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त दुर्गेश जोशी ने राज्य के समस्त जिला अधिकारियों / जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर आदेश जारी किया था कि, त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में नाम निर्देशन पत्र भरने वाले प्रत्येक प्रत्याशी के नाम निर्देशन पत्र के साथ उपलब्ध कराई गई सूचनाओं और शपथ पत्रों को संबधित निर्वाचन अधिकारी अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर प्रर्दशित करेगा।
चयन हेतु मतदाता अपनी राय बना सकें
यशपाल आर्य ने कहा कि आदेश में ही इस पत्र को जारी करने के उद्देश्य को स्पष्ट किया गया है , इन सूचनाओं के आधार पर ही सही प्रत्याशी के चयन हेतु निर्वाचक याने मतदाता अपनी राय बना सकेंगे। स्पष्ट आदेश के बाद भी अभी तक किसी भी जिले के निर्वाचन अधिकारी ने प्रत्याशियों के नाम निर्देशन पत्रों के साथ उपलब्ध कराई सूचना न तो सूचना पटों पर प्रदर्शित की है और न ही किसी वेब साइट पर डाली है। इस संबध में लोकतंत्र के कुछ जागरुक प्रहरियों ने लिखित में राज्य निर्वाचन आयोग को कई बार शिकायत भी की है। चुनाव के समय निर्वाचन अधिकारियों की यह अक्षम्य चूक अत्यन्त चिंतनीय है और पंचायती लोकतंत्र को नुकसान पंहुचाने वाले है।
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यशपाल आर्य ने आगे कहा कि 2025 के पंचायत चुनावों को सम्पन्न कराने हेतु राज्य के सभी जिला अधिकारियों / जिला निर्वाचन अधिकारियों को उपलब्ध कराई गई निर्देश पुस्तिका में इस आदेश को भी संकलित कर इन महत्वपूर्ण अधिकारियों को इसका पालन करने को कहा गया है। अफसोस इस बात का है कि, अभी तक किसी भी जिले में ये सूचनाऐं सार्वजनिक नहीं की गई हैं। इसके पीछे निश्चित ही अपने चहेते प्रत्याशियों को फायदा पंहुचाने के उद्देश्य से उनके द्वारा दी गई गलत और भ्रामक सूचनाओं को छुपा कर उन्हें बचाना है।
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