देहरादून. प्रदेश के पांच महत्वपूर्ण और बड़े नीतिगत मसले केंद्र सरकार में लंबित हैं. नीति आयोग की बैठक में इन सभी मसलों को उठाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इनके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी चर्चा कर चुके हैं. इस बारे में उनकी ओर से केंद्र सरकार को स्मरण पत्र भी दिए गए हैं. लेकिन अभी इन सभी प्रमुख मसलों पर धामी सरकार को केंद्र की हामी का इंतजार है.
केंद्र से नहीं मिली राहत
इन नीतिगत मसलों के समाधान से उत्तराखंड राज्य को देश का अग्रणीय राज्य बनाने में बड़ी मदद मिल सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उत्तराखंड और हिमाचल राज्य को बाह्य सहायतित योजनाओं के लिए 2025 तक के लिए फंडिंग की सीलिंग तय कर दी है. राज्य सरकार इससे असहज है. सरकार ने केंद्र से सीलिंग हटाने का अनुरोध किया। इसके पीछे 19 हजार करोड़ की उन 11 बाह्य सहायतित योजनाओं का हवाला दिया गया है, जो केंद्रीय मंत्रालयों की मंजूरी व फंडिंग एजेंसियों की सैद्धांतिक मंजूरी प्रक्रिया पूरी कर चुकी हैं. वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अभी इस पर केंद्र से कोई राहत नहीं मिली है.
राज्य सरकार चाहती है कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजना की मंजूरी और उनके क्रियान्वयन का अधिकार राज्य को ही मिलना चाहिए. अनुमान है कि इस निर्णय से राज्य में 3000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन हो सकेगा। इस पर भी निर्णय होना अभी बाकी है. केंद्र की कई केंद्र पोषित योजनाएं राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं. सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अनुरूप ऐसी योजनाओं में छूट चाह रही है, लेकिन अभी तक इस बारे में भी केंद्र के स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ है.