बारीपदा। उत्तरकाशी में सुरंग ढहने ​से फंसे सभी पांच उड़िया मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. बाहर आने के बाद उड़िया श्रमिकों ने अपनी आपबीती सुनाई है. मयूरभंज जिले के बारीपदा के धीरेन नायक ने बताया कि जब 40 अन्य श्रमिकों के साथ वे उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे हुए थे, तब उनकी उम्मीदें बचाव कर्मियों पर टिकी थीं. हालांकि उन्होंने लगातार 17 दिनों तक कभी उम्मीद नहीं खोई, उन्होंने अपने बचाव को एक सामूहिक प्रयास बताया. Read More –Cuttack Balijatra 2023 : बालिजात्रा के इस ओड़िया वन-लाइनर टी-शर्ट स्टॉल पर जरूर जाएं, लोगों को खूब आ रहे पसंद

अपनी आपबीती सुनाते हुए नायक ने कहा, शुरुआती 10 दिनों तक हम मुरमुरे और सूखे मेवों पर जीवित रहे. बाद में, अधिकारियों ने 6 इंच के पाइप के माध्यम से दाल, चावल और चपाती भेजी. हम 11 दिसंबर की रात को अपनी ड्यूटी पर गए थे. अगले दिन दिवाली की छुट्टी थी, इसलिए हम काम जल्दी खत्म करके सुरंग से निकलना चाहते थे, लेकिन 12 दिसंबर की सुबह हमारी वापसी के दौरान सुरंग ढह गई. नायक ने बताया कि, गिरने के 18 घंटे बाद तक हमें ऑक्सीजन नहीं मिली. हमारे बीच न तो फ़ोन संचार था और न ही वॉकी-टॉकीज़ काम करते थे. इसलिए, हमने बाहर तक यह संदेश पहुंचाने के लिए पानी की लाइन खोल दी कि हम अंदर फंसे हुए हैं और जीवित हैं. हमें शुरुआत में सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि सुरंग लंबी थी और शुरुआती घंटों में सांस लेने के लिए इसमें पर्याप्त ऑक्सीजन थी.

धीरेन नायक ने बताया कि, मैं वहां तीन साल से अधिक समय से काम कर रहा हूं, लेकिन ऐसा हादसा कभी नहीं हुआ. मुझे लगता है कि यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण दिन था. धीरेन नायक के अलावा, ओडिशा के चार अन्य श्रमिक भी थे जो सुरंग में फंस गए थे। वे हैं- बारीपदा से विश्वेश्वर नायक, झरीगांव से भगवान भत्रा, कुलडीहा से राजू नायक और चालीस चेन गांव से तपन मंडल. दिवाली की रात से ढही सुरंग में 400 घंटे से फंसे श्रमिकों के परिवारों ने मंगलवार को उन्हें बचाए जाने के बाद खुशी मनाई और नृत्य, संगीत और पटाखों के साथ जश्न मनाया बताया जा रहा है कि, बचाए गए उड़िया श्रमिकों के गांव वाले अपने-अपने गांव लौटने पर एक विशाल स्वागत पार्टी की योजना बना रहे हैं.