रायपुर। पिशाचमोचनी श्राद्ध, इस दिन पिशाच योनि में गए हुए पूर्वजों के निमित्त तर्पण आदि करने का विधान बताया गया है. जो आज 10 दिसंबर 2019 को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी मंगलवार को है. इस तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए उपाय करने से जातक को पितृ-दोष से मुक्ति मिलती है. अगहन माह यानी कि मार्गशीष माह में पड़ने वाले पिशाचमोचन श्राद्ध को शास्त्रों में भी काफी अहम माना गया है.

शास्त्रों में पिशाचमोचन श्राद्ध के अनेक विधि-विधान बताए गए हैं जिनके द्वारा इनकी शांति व मुक्त्ति होती है.

 

पिशाचमोचनी श्राद्ध विधि…

इस दिन व्रत, स्नान, दान, जप, होम और पितृरों के लिए भोजन, वस्त्र आदि देना उत्तम रहता है शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रात:काल में स्नान कर संकल्प करें और उपवास करें. इस दिन किसी पात्र में जल भर कर कुशा के साथ दक्षिण दिशा की ओर अपना मुख करके बैठ जाएं तथा अपने सभी पितृरों को जल दें, अपने घर परिवार, स्वास्थ आदि की शुभता की प्रार्थना करें. तिलक, आचमन के बाद पीतल या तांबे के बर्तन में पानी लेकर उसमें दूध, दही, घी, शहद, कुमकुम, अक्षत, तिल, कुश रखें.

पिशाचमोचनी श्राद्ध महत्व

पिशाचमोचनी श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अपने पित्ररों को शांति प्रदान करता है जो अकाल मृत्यु व किसी दुर्घटना में मारे जाते हैं उनके लिए यह श्राद्ध कर्म महत्वपूर्ण माना जाता है. यह दिन पितृों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला होता है. इसलिए इस दिन में किया गया श्राद्ध कर्म अक्षय होता है और पित्रर इससे संतुष्ट होते हैं. इस तिथि को श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पितृरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन तीर्थ, स्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण(कर्जों) और पापों से छुटकारा मिलता है. इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है जिससे तन, मन,धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

यहां करें पितरों का पिंडदान…

जिन लोगों के पूर्वजों की मौत किसी आकस्मिक दुर्घटना या गैर-प्राकृतिक तरीके से हुई हो उन्हें पिशाचमोचन श्राद्ध पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रयास करने चाहिए. पिशाचमोचन श्राद्ध के दौरान काशी के पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान का अलग महत्व है. काशी को लेकर मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां प्राण त्यागता है उसे भगवन शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. लेकिन जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल मृत्यु के शिकार होते हैं उनके मोक्ष की कामना भी काशी के पिशाच मोचन कुण्ड पर त्रिपिंडी श्राद्ध के द्वारा की जाती है. अकाल मृत्यु को प्राप्त होने व्यक्ति के लिए नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. जबकि सामान्य मृत्यु को प्राप्त होने वाले व्यक्ति के निमित्त पारवण और तिथि श्राद्ध का विधान है.