जिस खाकी वर्दी पर युवतियों की इज़्ज़त बचाने की ज़िम्मेदारी होती है अगर वही पुलिस किसी युवती के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश करे तो उसे कौन बचाएगा ? ये वो सवाल है जो कल शाम हर कोई जानना चाहता है.
दरअसल हुआ कुछ यूं था कि नशे की हालत में 2 पुलिस कर्मियों ने सुनसान सड़क का फायदा उठाते हुए पहले एक युवती को डराया और फिर बुरी नीयत से ज़बरदस्ती उसे पुलिस की ही गाड़ी में बैठाकर ले जाने लगे. युवती ने अपनी अस्मत बचाने चलती गाड़ी में ही चीख पुकार मचानी शुरू कर दी. जिसके बाद वही हुआ, जो शायद दरिंदो की बुरी नियत से बचाने समाज का हर वर्ग करता.
आस पास के लोगों ने पहले तो पुलिस की गाड़ी रोकी ओर युवतियों को गाड़ी से बाहर निकाला. जैसे ही युवतियों ने आम जनता को रोते हुए अपनी आपबीती सुनाई और मदद की गुहार लगाई. लोगों का गुस्सा चरम पर पर था. भीड़ ने उन दोनों पुलिस कर्मियों की जमकर पिटाई करदी.
लोगों का गुस्सा यही शांत नही हुआ तो उन्होंने डंडे से पुलिस की गाड़ी भी तोड़ दी इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों कॉन्स्टेबल को निलम्बित भी कर दिया और पुलिस की गाड़ी तोड़ने वाले दर्जन भर लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इतना सब कुछ होने के बावजूद पीड़ित की शिकायत तक नही लिखी गई.
अब सवाल यही उठता है कि पहले तो लड़की के साथ शराब के नशे में वर्दीधारी छेड़छाड़ करते हैं. फिर उसे किडनैप करके ले जाने की कोशिश भी करते हैं. शायद युवती की चीख पुकार किसी ने नही सुनी होती, तो पता नही उसके साथ और क्या क्या होता? सवाल यह भी की क्या उन्हें सिर्फ निलंबित करने से ही युवती के साथ इंसाफ होजाएगा? या छेड़छाड़ किडनैपिंग जैसी वारदातों में जो आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई होती है क्या इनपर ये कर्रवाई नही होनी चाहिए? लेकिन पुलिस विभाग अपनी गलती मानने के बजाए विभाग को बदनामी से बचाने सभी हथकंडे अपनाता नज़र आरहा है. यह मामला तो सामने आगया, सवाल तो यह भी उठता है कि ऐसे कई और मामले होंगे जो बदनामी और वर्दी के डर से सामने ही नही आते होंगे.