रायपुर. नवा रायपुर स्थित आईटीएम विश्वविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर एक विशेष व्याख्यान के साथ विद्यार्थिओं के लिए निबंध, भाषण एवं काव्यपाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया.

 आईटीएम विश्वविद्यालय के वाइस -चांसलर प्रो. (डॉ.) विकास सिंह ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम का  उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से छत्तीसगढ़ राज्य के प्रांत- प्रचारक प्रेमशंकर सिदार बतौर मुख्य अतिथि  मौजूद थे. इस मौके पर वाइस चांसलर डॉ. विकास सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संपूर्ण जीवनी और उनका कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद ही प्रेरणादायक है.

प्रखर गांधीवादी होकर भी नेता जी का मानना था कि सिर्फ अहिंसा के भरोसे आज़ादी नहीं मिल सकती. नैतिक मूल्यों पर बात करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि कुशाग्र बुद्धिवाले सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रहे लेकिन अपने पिता की आज्ञा का पालन करने लंदन जाकर सिविल सेवा की कठिन परीक्षा पास कर ली. फिर अपनी कट्टर देशभक्ति के कारण नौकरी से इस्तीफा दे दिया और आज़ादी के संग्राम में कूद पड़े. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आरएसएस के छत्तीसगढ़ प्रांत प्रचारक प्रेमशंकर सिदार ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश सेवा के लिए साधना, संघर्ष और बलिदान का जो रास्ता अपनाया उसकी समुचित जानकारी हम भारतीयों को नहीं मिल पाई.आज़ादी के बाद से ही देश में नेताजी के योगदानों का पूर्वाग्रह से रहित सही मूल्यांकन की  प्रबल मांग लगातार होती रही.

ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय युवा छात्र से हुई बातचीत में युवा  दृष्टिकोण साझा करते हुए उन्होंने कहाकि सुभाषजी की जीवनी अगर युवाओं को पढ़ाई जाए  तो देश के युवा देशभक्ति के ज्वार में डूब जाएंगे. नेताजी की लोकप्रियता के कारण देश में जगह -जगह उनका प्रवास गुलाम देश में जनजागरण का कारण बनता था जिसके कारण सेना में भी विद्रोह होने लगा और उनकी सभाओं से अंग्रेज घबराने लगे थे.  श्री सिदार ने आगे कहाकि पराधीन रहने पर देश का सम्मान नहीं हो पाता और ऐसी परिस्थितियों  में भी नेताजी अपने करिश्माई व्यक्तित्व, नेतृत्व क्षमता और कुशल प्रशासकीय प्रबंधन के कारण जर्मनी जापान इटली आयरलैण्ड सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को प्रभावित कर सके और आज़ाद हिन्द फौज का गठन कर अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से भारत देश  को आज़ाद करने में सफल रहे.  इसके पश्चात् ऑनलाइन मोड में ही निबंध, काव्यपाठ एवं भाषण स्पर्धा हुई जिसमें स्कूल ऑफ़ लॉ की छात्रा नैंसी नेहरा, श्रेया रंजन और छात्र ऋषित छाबड़ा ने  “मेरे आदर्श:आज़ादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्रे बोस” भाषण शीर्षक पर अपनी ओजस्वी बातें रखी और उनके महान त्याग और बलिदान को याद किया.

कार्यक्रम का संचालन डॉ. नितिन जायसवाल ने  किया. विद्यार्थी मामलों से संबंधित समिति के प्रो. मोहम्मद एहतेशाम और प्रो. श्यामली नायडू ने स्पर्धाओं का समन्वय किया. छत्तीसगढ़ आरएसएस के सह महाविद्यालयीन छात्र प्रमुख गणित के प्रोफेसर डॉ. शांतिस्वरुप दुबे भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग के हेड डॉ. सत्य प्रकाश माखीजा, स्कूल ऑफ़ लाइफ साइंसेज हेड डॉ. रुपेश ठाकुर , स्कूल ऑफ़ हॉस्पिटैलिटी एन्ड टूरिस्म मैनेजमेंट के हेड प्रो. अमेया जानी, सीनियर प्रोफेसर राजेश उबले, डॉ. राखी बाजपेयी, डॉ. जय गोडेजा, डॉ. मीनाक्षी मिश्रा , डॉ. मोहित साहू , डॉ.  अंकिता शुक्ला, प्रो. देबाशीष मोहंती, प्रो. श्वेता  मिश्रा, आशीष तिवारी, मोहन गुडे सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक कर्मचारी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए.