नई दिल्ली . वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई जरूरी कदम उठा रही है. इसके तहत गेहूं और चावल के भंडार को जारी करना, चावल-चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना और दालों तथा तिलहनों के आयात की अनुमति देना शामिल है. सरकार ने उम्मीद जताई है कि बाजार में नई फसलों के आने के साथ ही अगले महीने से सब्जियों की कीमतें कम होने लगेंगी.

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने महंगाई से बचाने के लिए कदम उठाए हैं और दूसरों की तुलना में हम काफी बेहतर स्थिति में हैं. टमाटर की कीमतों को कम करने के लिए जरूरी उपाय किए गए हैं और इसका असर दिखने लगा है. कई राज्यों में दाम 100 रुपये प्रतिकिलो से नीचे आ गए हैं. वहीं, प्याज के दाम पर काबू रखने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. कीमतों को नीचे रखने के लिए लचीली व्यापार नीति अपनाई गई है.

आंकड़ों के अनुसार, इस साल जुलाई में अनाज और उससे जुड़े उत्पादों की महंगाई 13.04 फीसदी बढ़ी. वहीं सब्जियों की महंगाई में सबसे ज्यादा 37.34 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. दालें 13.27 फीसदी, मसाले 21.63 फीसदी महंगे हुए हैं.

दोगुना बढ़ी खाद्य महंगाई

जुलाई महीने में खुदरा महंगाई 7.44 फीसदी रही, जो 15 महीने का उच्चस्तर है. यह आरबीआई के अनुमान से भी अधिक है. जून में यह 4.87 फीसदी रही थी. वहीं, खाद्य महंगाई दर जुलाई में यह 11.51 रही, जबकि जून में 4.55 पर थी.

‘कम बारिश से बुआई पर असर नहीं पड़ेगा’

वित्त मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा ऊंची मुद्रास्फीति आंशिक रूप से सब्जियों के कारण है. उम्मीद है कि सब्जियों की कीमतें जल्दी ही कम हो जाएंगी, शायद अगले महीने तक. अधिकारी ने कहा कि छह फीसदी बारिश की कमी से खरीफ की बुआई पर असर पड़ने की आशंका नहीं है, क्योंकि कृषि क्षेत्र काफी लचीला है.