अमित पांडेय. डोंगरगढ़. राजनांदगांव जिले की धर्मनगरी माने जाने वाले डोंगरगढ़ में इन दिनों सट्टा-मटके का कारोबार अपने चरम पर है. दिन में ‘कल्याण’ और रात में ‘राजधानी’ के नाम पर रोजाना लाखों रुपए के दांव लग रहे हैं. यह खेल अब केवल गली-मोहल्लों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बड़े पैमाने पर गांव-गांव में फैला हुआ है. बताया जा रहा है कि डोंगरगढ़ के साथ-साथ मुसरा, मुरमुन्दा, बेलगांव मोहारा, चिचोला और बाघनदी जैसे इलाकों में भी खुलेआम सट्टे की पट्टियाँ लिखी जा रही हैं.

 सोशल मीडिया पर हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें सटोरिए खुलेआम पट्टी लिखते दिखाई दे रहे हैं. यह दृश्य न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वर्षों से यह खेल बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है. सूत्रों की मानें तो सट्टा कारोबार में रोजाना लाखों रुपए का लेन-देन होता है. एक अंक पब्लिक का और बाकी नौ अंक खाईवाल के होने से आम लोग अंकों के मायाजाल में फंस जाते हैं. दरअसल यह पूरा सिस्टम ठगी पर आधारित है, जिसमें जनता की मेहनत की कमाई सट्टे की आग में झोंक दी जाती है.

 विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि इस लाखों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा लगभग 20 लाख रुपए हर महीने अलग-अलग अधिकारियों, नेताओं और रसूखदारों के बीच बाँटा जाता है. यही वजह है कि इस अवैध धंधे पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है. अपराधी निडर होकर शहर के बीचोंबीच और आस-पास के इलाकों में सट्टे का धंधा चला रहे हैं, जबकि कानून का भय मानो खत्म हो गया है.

 इस बीच, राजनांदगांव जिले की नई पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने पदभार संभालने के बाद अपराध पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने की बात कही है. वे छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं जिन्हें ‘लेडी सिंघम’ के नाम से जाना जाता है. अंकिता शर्मा के आने के बाद अपराधियों में खौफ तो है, लेकिन सवाल यह है कि क्या डोंगरगढ़ का यह अवैध सट्टा साम्राज्य अब वास्तव में थमेगा? क्या धर्मनगरी कहलाने वाला यह शहर फिर से अपनी पहचान और गरिमा वापस पा सकेगा?

इस संबंध में पुलिस के उच्च अधिकारियों का कहना है कि वायरल वीडियो उनके पास नहीं पुहंचा है, यदि उन्हें ये वीडियो मिलेगा तो वे जांच के बाद पूरा मामले में जरूर कार्रवाई करेंगे.

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