रायपुर। चुनाव के पहले ये संकल्प था कि यदि कांग्रेस की सरकार आती है तो हम शराबबंदी करेंगे. सदन ये संकल्प पारित हो जाए सर्वसम्मति से तो इससे बड़ी श्रद्धांजलि गांधी को नहीं दी जा सकती. इससे बड़ा मौका दोबारा कभी नहीं मिलेगा. 150 वीं जयंती के मौके पर गांधी के इस सपने को पूरा किया जा सकता है. यह बात पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा के दौरान कही.

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सदन में हो रही चर्चा पर कहा कि एक पॉजिटिव चर्चा की उम्मीद थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही गांधी की विचारधारा को लेकर 3 लाख गांवों तक जाने का लक्ष्य दिया है. मुझे लग रहा था कि गांधी पर चर्चा होगी तो इस अवसर का लाभ उठाया जाएगा. कुछ ऐसी योजनाएं आएंगी जिसकी चर्चा 150 साल तक होगी. इस अवसर से हम चूक गए. सरकार के अखबारों में, टीवी में बड़े-बड़े विज्ञापन छापे जा रहे है.

उन्होंने कहा कि गांधी को हम सच्ची श्रद्धाजंलि देना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ के 42 हजार बुनकर हैं, उनके पास कोई काम नहीं बचा है. अगर गांधी जयंती पर कुछ करना ही था तो कम से कम उन बुनकरों की सुध ले सकते थे. इस पवित्र विधानसभा में उन बुनकरों के रोजगार की सुरक्षा की गारंटी ली जा सकती थी. राजनीति संत के रूप में किसी का नाम लिया जा सकता है तो वह महात्मा गांधी थे. सत्य, अहिंसा, पदयात्रा इन तमाम चीजों का गांधी ने राजनीति में प्रयोग किया.

डॉ. सिंह ने कांग्रेस सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बताया गया कि 5 नई योजनाएं लागू की जा रही है. छह साल पुराना नोटिफिकेशन मेरे पास है. उस वक़्त हमने फुलवारी योजना शुरू की थी. 5 वर्ष की उम्र के छोटे बच्चों के लिए योजना बनाई थी. ये उस वक़्त की योजना है, जिसे प्रधानमंत्री ने पुरस्कृत किया था. पुरानी योजना को नया लेवल लगाकर स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना को हमने सालों पहले शुरू किया था. यह योजना लगातार चल रही थी.

उन्होंने महात्मा गांधी पर कहा कि वह अकेला व्यक्ति उस सल्तनत को चुनौती देता था, जिसका कभी सूरज डूबता नहीं था. इस देश की आजादी के लिए संघर्ष तो दूसरी जगह अस्पृश्यता के खिलाफ उनकी लड़ाई एक साथ इन क्षेत्रों में काम करते थे. सैकड़ों साल बाद भी महात्मा गांधी के कद को कोई छू नही सकता. नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई दुनिया के बड़े नेता उन्हें प्रेरणा माना. गांधी के जिन विचारों को हम आज पढ़ते हैं तो रोमांचित हो उठते हैं. सबसे ज्यादा आंदोलन करने वाले नेता के तौर पर हम उन्हें याद करते हैं.

डॉ. सिंह ने कहा कि गांधी जी 1891 में बैरिस्टर बनने इंग्लैंड गए. उस समय के गांधी सूट बूट वाले थे. शेख अब्दुल्ला के निमंत्रण पर वह पहली बार अफ्रीका गए थे. डरबन में जब ट्रेन पर चढ़ रहे थे तब उन्हें एहसास हुआ था कि भारतवंशियों की स्थिति क्या है. जब वह वहां वकालत करने गए थे तब उन्हें पता चला था कि भारत के लोगों को कुली बैरिस्टर के रूप में संबोधन किया जाता था. अखबारों ने गांधी को लेकर भी जो खबरें छापी तो उन्हें कुली बैरिस्टर के रूप में संबोधित किया.

महात्मा का जन्म कितने अपमान के बाद शुरू होता है. गांधी को भी इन दिक्कतों का सामना करना पड़ा. काठियावाड पगड़ी को लेकर जब जज ने आपत्ति की तब उन्होंने विरोध किया और कहा कि यह हमारी परंपरा है इसे मैं नहीं उतारूंगा. केस खत्म करने के बाद जब गांधी भारत लौटने लगे तब अफ्रीका में एक कानून आया, जिसमें भारत के लोगों से वोट का अधिकार छीना. तब गांधी ने कहा इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जाए. इसके बाद अफ्रीका के भारतीयों के पंजीयन का जब कानून आया तब गांधी ने कहा इस लड़ाई को अहिंसात्मक तरीके से लड़नी होगी. उन्होंने 21 सालों तक अपनी धरती छोड़कर दक्षिण अफ्रीका की धरती पर संघर्ष करते हुए बिताया.