रायपुर। आरंग विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट (Vidhayak Ji Ka Report Card in Arang Assembly Seat) है, यह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत में छत्तीसगढ़ राज्य के 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. आरंग सीट रायपुर जिले का हिस्सा है और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. ये रायपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. इस सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान श्रम मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया ने जीत दर्ज की थी. उस समय आरंग में कुल 45 प्रतिशत वोट पड़े थे. डॉ शिव कुमार डहरिया ने भारतीय जनता पार्टी के संजय ढ़ीढ़ी को 25,077 वोटों के मार्जिन से हराया था.

आरंग सीट का क्या है इतिहास ?

वहीं इस सीट का इतिहास बताता है कि यहां हर चुनाव में मतदाताओं ने दूसरी पार्टी को मौका दिया है. यानी एक कार्यकाल कांग्रेस तो बीजेपी का दूसरा होता आया है. साल 2003 के विधानसभा चुनाव से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के संजय ढ़ीढ़ी जीते थे 48,556 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर कांग्रेस के गंगूराम बघेल रहे थे, जिन्हें कुल 30,112 मत मिले थे.

2008 में किस पर रहा जनता का विश्वास ?

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान कांग्रेस सरकार में पीएचक्यू मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने 34,655 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे स्थान पर भाजपा के 2003 में विधायक चुने गए संजय ढ़ीढ़ी रहे इस चुनाव में संजय को कुल 33,318 वोट मिले थे. 2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने यह सीट अपने नाम की और नवीन मार्कण्डेय के नाम जीत की मुहर लगाईं, जिन्हें 59,067 वोट मिले थे.

वहीं इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के विधायक गुरु रूद्र कुमार 45,293 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर आ गए. पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुरु रूद्र कुमार की जगह अपना प्रत्याशी बदलते हुए डॉ शिव कुमार डहरिया को टिकट दिया, जिन्होनें भाजपा प्रत्याशी संजय ढ़ीढ़ी को 69,900 वोटों से जीतकर करारी शिकस्त दी. उन्होनें करीब 25,077 वोटों के मार्जिन से यह चुनाव जीता था.

कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ

पिछले साल ही इस विधानसभा सीट में एक बड़ी घटना हुआ. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में आरंग सीट से अपनी दावेदारी पेश कर चुके कांग्रेस नेता वेदराम मनहरे ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. दिल्ली में वेदराम मनेहरे ने 10 कांग्रेसियों समेत भाजपा में प्रवेश कर लिया. उन्हें भाजपा की तत्कालीन छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने सदस्यता दिलाई. यह आरंग कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ.

पेशे से कृषि और चिकित्सक डॉ शिवकुमार डहरिया आरंग विधानसभा में आज एक बड़ा चेहरा बन चुके हैं. बतौर विधायक उनकी इस क्षेत्र में एससी वोटरों में पकड़ काफी मजबूत है. मगर क्या इस बार कांग्रेस एक बार आरंग विधानसभा सीट से डॉ शिवकुमार डहरिया को मौका देगी या फिर सिटींग एमएलए को हटाकर किसी और चेहरे पर दांव खेलेगी.

2023 में क्या रहेगा जनता का मूड ?

दरअसल, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट आरंग विधानसभा को भाजपा का गढ़ माना जाता है. लंबे समय तक यह सीट भाजपा के पास रही. हालांकि राज्य निर्माण के बाद से हुए चार चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत-हार का खेल चलता रहा है. एक तरह से जनता अपना मूड बदलती रही है, लेकिन 2023 में जनता का मूड क्या रहेगा इसे जरा समझने की कोशिश करते हैं.

वर्तमान में आरंग से डॉ. शिवकुमार डहरिया कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं. डहरिया अब चार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. इनमें से तीन में जीत, जबकि में एक में हार का सामना करना पड़ा है. डॉ. डहरिया 2003 में पलारी विधानसभा चुने जीते, फिर 2008 में बिलाईगढ़ और 2018 में आरंग से जीते. 2013 में बिलाईगढ़ सीट चुनाव हार गए थे.

राजा मोरध्वज की नगरी

राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा नगर है, जिसे पौराणिक कथाओं में राजा मोरध्वज की नगरी के रुप में, इतिहास में मंदिरों की राजधानी के रूप में और सियासत में भाजपा के गढ़ के रूप में जाना और पहचाना गया, लेकिन भाजपा के इस गढ़ में कांग्रेस सेंध लगाती रही और जनता के बीच में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती है.

डहरिया रिकॉर्ड मतों से जीतकर आए

इसे राज्य निर्माण के बाद हुए चार चुनाव में देखा जा सकता है. जहां दो बार भाजपा, तो बार कांग्रेस काबिज हुई. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एक प्रयोग किया. गुरु रुद्रकुमार को आरंग से अहिवारा भेजा, जबकि बिलाईगढ़ से डॉ. शिवकुमार डहरिया को आरंग लेकर आए. प्रयोग सफल रहा है. परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहा और डहरिया रिकॉर्ड मतों से जीतकर आए. एससी की आरक्षित सीटों पर सर्वाधिक मतों से जीतने वाले विधायक बने, तो भूपेश कैबिनेट में मंत्री भी.

2003 से 2018 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से हुए चार चुनाव के नतीजे

दो बार भाजपा, दो बार कांग्रेस जीती

2018 विधानसभा चुनाव , एससी सीट
डॉ शिवकुमार दहरिया- कांग्रेस 69900
संजय ढींढ़ी – भाजपा 44823
संजय चेलाक- जे.सी.सी 27903

2013 विधानसभा चुनाव, एससी सीट

नवीन मार्केंड्य, बीजेपी, कुल वोट मिले 59067
रूद्र कुमार गुरु, कांग्रेस, कुल वोट मिले 45293

2008 विधानसभा चुनाव, एससी सीट  

रूद्र कुमार गुरु, कांग्रेस, कुल वोट मिले 34655
संजय ढीढी, बीजेपी, कुल वोट मिले 33318

2003 विधानसभा चुनाव, एससी सीट

संजय ढीढी, बीजेपी, कुल वोट मिले 48556
गंगू राम बघेल, कांग्रेस, कुल वोट मिले 30112

भाजपा से गंगूराम बघेल 1990 से 2003 तक विधायक रहे, लेकिन जोगी शासन में कांग्रेस में शामिल हुए और मंत्री रहे.

आरंग विधानसभा में कुल मतदाता- 2 लाख 19 हजार 752
पुरुष मतदाता- 1 लाख 10 हजार 2 सौ 29
महिला मतदाता- 1 लाख 9 हजार 5 सौ 17
अन्य- 6

आरंग का जातीय समीकरण

अनुसूचित जाति- 40 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति- 20 प्रतिशत
अन्य पिछड़ा वर्ग – 30 प्रतिशत
सामान्य – 10 प्रतिशत

आरंग विधानसभा के मुद्दे

विकासकार्यों को लेकर मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया का दावा

शिवकुमार डहरिया ने कहा कि 15 साल में जो काम नहीं हुए बीते 4 साल में हुए हैं. तीन नए नगर पंचायतों का गठन, प्रत्येक ग्राम पंचायतों में 2 से 10 करोड़ के विकास कार्य, आरंग विधानसभा में 1 हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य हुए. पर्यटन स्थलों का भी विकास जारी है. चंदखुरी मंदिर का भव्य जीर्णोधार हुआ. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ. सड़क, पानी के अनगिनत काम हुए. मैं आरंग विधानसभा से ही चुनाव लडूंगा, सीट बदलने की चर्चा अफवाहें हैं.

आरंग में भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत – नवीन मार्कण्डेय

वहीं पूर्व विधायक नवीन मार्कण्डेय ने कहा कि आरंग में भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत हुई. बिना निविदा काम हुए. घोटाला सरेआम हुआ. भाजपा के पास मुद्दों की कमी नहीं है. कांग्रेस के झूठे वादें, जनता को याद हैं

आरंग के प्रमुख मुद्दे

सफाई का मुद्दा बड़ा
सकरी गलियों में विकास
आरंग शहर के पुरातात्विक मंदिरों का विकास
आवास और पेयजल भी है मुद्दा
सब्जी बाजार में अव्यवस्था का मुद्दा
युवाओं के बीच अच्छी शिक्षा और रोजगार का मुद्दा

आरंग विधानसभा से भाजपा के प्रमुख दावेदार

  • पूर्व विधायक नवीन मार्कण्डेय
  • पूर्व विधायक संजय ढींढी
  • भाजपा नेता वेदराम मनहरे
  • भाजपा नेता श्याम नारंग

2023 में आरंग में कांग्रेस के लिए आसान नहीं है राह

डॉ. शिवकुमार डहरिया के सामने हैं कई चुनौतियां

पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है बड़ी चुनौती

हर 5 साल में जनता बदल देती है विधायक

आरंग विधानसभा में जीत का इतिहास लिखेंगे डहरिया ?

जनता के उम्मीदों कितने खरे उतर पाए विधायक ?

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