आजाद सक्सेना, दंतेवाड़ा। विकास के नाम पर बदहाली की तस्वीरें कई बार झकझोर कर रख देती हैं, रुला देती हैं. कुछ इसी तरह की तस्वीर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से सामने आई है, जिसने बदहाली की पोल खोलकर रख दी है. यह तस्वीर कहीं और कि नहीं बल्कि दंतेवाड़ा जिला के कुआकोंडा ब्लॉक के नीलवाया ग्राम पंचायत की है.

शनिवार को नीलवाया ग्राम के एक ग्रामीण बंडी 52 वर्ष की मृत्यु जगदलपुर ले जाते वक्त हो गई, जिसे दंतेवाड़ा से शव वाहन में उसके गांव तक पहुंचाना था, लेकिन सड़क खराब होने की वजह से समेली अरनपुर सड़क पर ही छोड़ का चला गया. जहां से 7 किलोमीटर का सफर खाट पर शव को लेकर ग्रामीणों ने उसके घर तक पहुंचाया.

बता दें कि नीलवाया वही गांव है, जहां की सड़क पिछले 5 साल से अधूरी पड़ी है. इसी सड़क पर दूरदर्शन के कैमरामैन के साथ जवान शहीद हुए थे, तब से अभी तक यह सड़क उसी हालत में है.

जहां एक तरफ पुलिस नक्सलियों के बैकफुट में होने का दावा कर रही है. वहीं यह अधूरी सड़क, टूटी, पुलिया अभी भी नक्सलियों की मौजूदगी का एहसास दिलाते हैं. इन दोनों के बीच भोले भाले आदिवासी ग्रामीण पिस रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क बनने से पहले ही ठीक थी, कम से कम गांव तक गाड़ियां तो पहुंचती थी, लेकिन जब से यह सड़क शुरू हुई है, तब से गांव तक पहुंचने का एकमात्र साधन पैदल ही है. सड़क पर गिट्टी बिछाकर छोड़ दिया गया है, जिससे नंगे पांव चलने में काफी परेशानियां का सामना करना पड़ता है.

सड़क बनने की वजह से माओवादियों ने यहां पहुंचने वाले गोला नाला के पुल को भी तोड़ दिया है, जिसकी वजह से बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है.

यह सड़क पीएमजीएसवाई के द्वारा बनवाया जा रहा है, जिसकी लागत 305. 76 लाख रुपए है, लेकिन बदकिस्मती ऐसी की पिछले 5 साल से यह सड़क अधूरी पड़ी हुई है. ऐसा लगता है कि इस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ती, जिसका खामियाजा भोले भाले ग्रामीणों को उठाना पढ़ रहा है.

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