टुकेश्वर लोधी, आरंग. वृक्षों के बिना जीवन संभव नहीं है. पेड़ नि:स्वार्थ भाव से पूरा जीवन मानव जाति की सेवा करते हैं, लेकिन मानव अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई करते जा रहे हैं. इसके दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं. कम वर्षा, अमलीय वर्षा व वातावरण में असंतुलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है. ऐसा ही मामला आरंग के ग्राम पंचायत बोड़रा का है, जहां पर 7 साल पहले गांव के पहल नवयुवक शिक्षण एवं सेवा समिति ने 65 से 70 एकड़ जमीन पर वन विभाग के सहयोग से लगभग 2000 -2500 पौधे लगाए थे. अब इनमे से कई पेड़ों को ग्राम पंचायत ने मनरेगा के तहत डबरी निर्माण के दौरान काट दिया है.

मामले की जानकारी समिति के सदस्यों को होने के बाद सभी घटना स्थल पहुंचे और काफी नाराजगी जताई. उच्चाधिकारियों के पास शिकायत करने पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. समिति के सदस्यों का आरोप है कि जिस स्थान पर वर्ष 2017 में हजारों पेड़ ग्रामीणों और समिति द्वारा वन विभाग के सहयोग से लगाए गए थे वहां ग्राम सरपंच उमाशंकर चंद्राकर, ग्राम सचिव गायत्री शर्मा और रोजगार सहायक सुनील जांगड़े पर पेड़ों को नष्ट करके वहां मनरेगा के तहत 18.20 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति से डबरी निर्माण कार्य कराए जाने का आरोप लगाया है.

ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी वहां पर एक डबरी निर्माण के लिए मनरेगा के तहत 18.05 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृत हुआ है और वहां पर खाली जगह भी है. इसके बावजूद जिस स्थान पर वृक्षारोपण हुआ था वहां पर पेड़ों को काट कर डबरी निर्माण कराना बिल्कुल गलत है. ग्रामीणों ने मनरेगा कार्य पर भी लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बताया कि जिस स्थान पर डबरी का निर्माण कराया जा रहा है, वहां पर लगभग 20 दिन से ज्यादा कार्य करते हो रहा है, लेकिन अभी तक 1 फीट की गहराई भी नहीं हुआ है. समिति के सदस्यों ने ग्राम पंचायत बोडरा के रोजगार सहायक सुनील जांगड़े पर बिना ग्राम सभा प्रस्ताव के मनमानी करते हुए खाली जगह पर डबरी निर्माण नहीं कराते हुए वृक्षारोपण स्थल में डबरी निर्माण कार्य करवाने का आरोप लगाया है.

इस मामले में ग्राम पंचायत बोडरा के सरपंच उमाशंकर चंद्राकर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि जनपद पंचायत आरंग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुमार सिंह लहरे ने जांच समिति गठित करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

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