पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। वन अधिकार के पेंच में फंसा शिक्षा व मूलभूत सुविधा का अधिकार तो ग्रामीणों ने चंदे कर पहले स्कूल के लिए कच्चा मकान बनाया. शिक्षक की कमी दूर करने गांव का 8वीं पास युवक शिक्षा दान कर रहा है. 5 साल से बच्चे इचरादी में बने चंदे के स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

जिले के मैनपुर विकासखण्ड में एक गांव ऐसा भी है, जहां चंदे के पैसे से स्कूल का संचालन होता है. राजस्व ग्राम गरीबा से महज 3 किमी की दूरी पर उदंतीसीता नदी अभयारण्य के कोर जोन में बीहड़ जंगल मे यह गांव 15 साल पहले बसा है. जहां कभी जंगल हुआ करता था, वहां जमीन के लालच में बस्तर व ओड़िसा के लोगों ने जंगल काट कर इचरादी गांव बसा लिया. लेकिन वन अधिकार पट्टा के दायरे में नहीं आने के कारण अब तक इसे सरकारी मान्यता नहीं मिली है.

लगभग 200 की आबादी वाले इस गांव में कक्षा 1 से 5 तक के इस वर्ष 32 बच्चे पढाई कर रहे है. इनकी पढाई के लिए ग्रामीणों ने चंदे से पैसा एकत्र कर एक टिन शेड डालकर कच्चा मकान बनाया गया है. इस साल गांव के 8वी पास संतराम शिक्षा दान दे रहे हैं. बीइओ आरआर धुर्वा ने बताया कि अप्रवेशी बच्चो के प्रावधान के तहत इन्हें एसआरटीसी योजना के तहत 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाता है. फिर उम्र के आधार पर बड़े क्लास यानी कक्षा 6 मे गरीबा के स्कूल में भर्ती लिया जाता है.

आगे को पढ़ाई ठप क्योंकि

इचरादी के ग्रामीण रामदेव मंडावी, सोनाधर नेताम, चेतन राम ने बताया कि 5 साल पहले स्कूल गांव में खोला गया है, क्योंकि गरीबा तक जाने कोई रास्ता नहीं है. जंगली जानवरों का भी खतरा रहता है, इसलिए बच्चे को वहां नहीं भेजते है. कुछ साल सरकारी सहयोग मिला. इस साल गरीबा स्कूल से एमडीएम आ रहा है, गणवेश भी मिल जाता है, पर पढ़ाई भगवान भरोसे है. गांव में 5 से लेकर 10 साल तक बच्चों को पढ़ा लेते हैं. 10 साल से ज्यादा उम्र के गांव में कई बच्चे हैं, जिन्होंने आगे की पढ़ाई नहीं की है.

जंगल काट कर बसा लिया घर

मैनपुर ब्लॉक में ओड़िसा के नवरंगपुर व रायगढ़ से जुड़े अभयारण्य व सामान्य वन मण्डल के जंगलों में इसी तरह 10 हजार से भी ज्यादा आबादी अलग-अलग स्थानों पर जंगल काट कर गांव बसा लिया गया है. ट्राइबल डिपार्टमेंट में मौजूद रिकार्ड के मुताबिक, 2008 से 2022 तक जिले में कुल 21265 लोगों को 19069 हेक्टेयर वन भूमि पर काबिज का विधिवत वन अधिकार पट्टा दिया है. इसी दरम्यान 24029 आवेदन को निरस्त भी किया गया है. इनमें से ज्यादातर उदंती अभयारण्य में काबिज लोगों के हैं. नियम के मुताबिक, 2005 के पूर्व काबिज लोगों को ही वन अधिकार की मान्यता दिया जाना है. 2008 में जब वन अधिकार पट्टा दिया जाना शुरू हुआ तो जंगल बेचने में सक्रिय कुछ लोगों ने सीमावर्ती जंगलों को कटवा कर बाहरी लोगों को बसा दिया.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

इचरादी टाइगर रिजर्व इलाके में है, वहां स्कूल खोला जाना सम्भव नहीं है. वहां के बच्चों को कहीं न कहीं हम शिफ्ट जरूर करेंगे. शिक्षा के अधिकार तहत तय उम्र के सभी बच्चों को शिक्षा दिया जाना है. हम जरूर उनकी समस्या का हल करेंगे.
करमन खटकर, डीईओ-गरियाबन्द

वो जगह अभी-अभी संज्ञान में आया है. पता चला है कि वहां पेड़ों की कटाई हुई है. वन व वन्यप्राणी सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे. जो वन अधिकार के दायरे में आते हैं उन्हें विधिवत अधिकार दिया जा रहा है. जहां अतिक्रमण पाया जा रहा है, उन इलाकों में सतत् कार्रवाई की जा रही है. चूंकि इलाका संवेदनशील है इसलिए कार्रवाई थोड़ी बाधित जरूर हो रही है.
वरुण जैन, उपनिदेशक-सीतानदी उदंती अभ्यारण्य

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