पी. रंजन दास, बीजापुर। छह माह की मंगली की मौत पर राजनीतिक बयानबाजी थम गई हो, लेकिन मुतवेण्डी समेत गंगालूर-बीजापुर इलाके के दर्जनों गांव के ग्रामीणों में घटना को लेकर रोष बरकरार है. इस कड़ी में मूलवासी मंच के नेतृत्व में जिला मुख्यालय में रैली निकालने की तैयारी थी, लेकिन उन्हें प्रशासन से अनुमति नहीं मिली. इसे भी पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे आंध्र के वीरभद्र मंदिर, जहां माता सीता को बचाते समय रावण के हमले से घायल होकर गिरे थे जटायु…

छह सूत्रीय मांग को लेकर गोरना गांव में जुटे सैकड़ों ग्रामीण मंगली की मां मासे और पिता बामन को साथ लेकर कलेक्टर से मिलकर आवेदन देना चाहते थे. लेकिन प्रशासन की तरफ से इजाजत नहीं मिली. गोरना गांव को जोड़ती सड़क पर बड़ी संख्या में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान, राजस्व विभाग के अफसर-कर्मियों के साथ पुलिस के आला अधिकारी डटे हुए थे. जवानों की मुस्तैदी के अलावा सड़क के दोनों छोर पर बांस से बैरिकेडिंग की गई थी, जिससे ग्रामीण बीजापुर ना पहुंच सके.

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ग्रामीणों की छह सूत्रीय मांगों में पांच दिन के भीतर घटना की जांच पूरी करने, बगैर ग्राम सभा, ग्रामीणों की गैरमौजूदगी में मुतवेंडी में कैम्प का विरोध, घटना की जांच के लिए जनप्रतिनिधियों के अलावा ग्रामीणों की संयुक्त टीम गठित करने के अलावा मंगली की मां द्वारा गंगालूर थाने में लिखित शिकायत पर अविलंब एफआईआर दर्ज करने सहित कांवडगांव में स्थापित कैम्प को तत्काल हटाने की मांग शामिल है.

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ग्रामीण उक्त मांगों को लेकर गोरना से रैली की शक्ल में निकले जरूर लेकिन बीजापुर नहीं पहुंच सके. बैरिकेडिंग स्थल पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से तहसीलदार को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा. इधर, बैरिकेडिंग और रैली पर मुख्यालय में प्रवेश पर पाबंदी का मौके पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने पुरजोर विरोध किया. बेला ने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात बताया.

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