सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बलरामपुर जिले में करीब 30 से 35 घरों की आबादी आज भी उजाले का इंतजार कर रही है. करीब चार वर्ष पहले गांव में बिजली के पोल पहुंचने से ग्रामीणों में बिजली मिलने की आस जगी थी, लेकिन आज तक बिजली के पोल जस के तस पड़े हुए हैं.

हम बात कर रहे हैं जिले के वाड्रफनगर विकासखंड के अंतिम छोर में बसे झापर गांव की, जहां कारीमाटी मोहल्ले में विशेष पिछड़ी जनजाति के पहाड़ी कोरवा के करीब 30 से 35 घरों की आबादी वन भूमि पर लंबे समय से निवासरत है, जो आज भी अंधेरे में अपना जीवन यापन कर रही है.

बीते पांच वर्ष पहले क्रेडा विभाग ने ग्रामीणों की घरों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइट तो लगाई थी, जो अब दम तोड़ती नजर आ रही है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय गांव में बिजली विस्तार के लिए पोल पहुंचाए गए थे, जो आज भी जस के तस पड़े हुए है.

ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि चुनाव के समय नेता गांव में आकर विकास के झूठे वादे कर के चले जाते है, लेकिन काम कुछ नहीं होता है. यही वजह है कि ग्रामीण आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने मतों के अधिकार का उपयोग नहीं करने की बात कह रहे हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक, गांव में बिजली पोल पहुंचने से एक आस जरूर जगी थी, लेकिन वो भी महज सपना ही रह गया और ग्रामीणों को अंधेरे में ही गुजर-बसर करना पड़ रहा है, जिससे दिन-रात जंगली जानवरों के अलावा सांप-बिच्छू का डर बना रहता है.

गांव के सरपंच रामसजीवन आयाम ने बताया कि गांव में कोरवा मोहल्ला में बिजली विस्तार के लिए पोल तो पहुंचाया गया था, लेकिन बिजली का कनेक्शन आज तक नहीं पहुंच पाया है. इस संबंध में उन्होंने कई बार प्रशासन को अवगत भी कराया है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वहीं पूरे मामले में बिजली विभाग के कार्यपालन अभियंता शत्रुघन सोनी का अलग ही तर्क सामने आया है और उनका कहना है कि झापर गांव में बिजली के पोल के पहुंचने की जानकारी विभाग के पास नहीं है. गांव में बिजली विस्तार के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है. लेकिन ग्रामीणों को बिजली कब नसीब हो पाएगी शायद इसका जवाब साहब के पास भी नहीं है.