धीरज दुबे,कोरबा. विधानसभा निर्वाचन 2018 के तहत कोरबा जिले में भी दूसरे चरण का मतदान संपन्न हुआ. 20 नवंबर को हुए मतदान में जहां निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार व्यवस्थाएं प्रशासनिक तौर पर कड़ी की गई थी. वहीं आयोग के निर्देशों और तमाम सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए पोलिंग बूथ पर मोबाइल ले जाकर फोटो खींची गई और वीडियो भी बनाई गई. भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं एक निर्दलीय प्रत्याशी के खास समर्थक के द्वारा किए गए इस कृत्य की कहानी उन्होंने स्वयं सोशल मीडिया में वायरल कर लोगों को बताई है. इससे रूबरू होने के बाद तमाम व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगने के साथ-साथ यह सवाल भी उभरा है कि आखिर इन्हें प्रत्याशी के प्रति जताई गई निष्ठा को सार्वजनिक करने की क्या आवश्यकता पड़ गई?
सोशल मीडिया में वायरल वीडियो के अनुसार भाजपा के कोरबा विधानसभा प्रत्याशी विकास महतो के नाम के सामने ईवीएम का बटन दबाते हुए पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रवीण रत्नपारखी स्वयं वीडियो बना रहे हैं और वीवीपैट मशीन में दिख रही संबंधित पार्टी का चुनाव चिन्ह की भी वीडियो उन्होंने बनाई है. मतदान करने के दौरान उन्होंने बाकायदा मतदान करते हुए वीडियोग्राफी की है जो कि कतई उचित नहीं.
इसी प्रकार निर्दलीय प्रत्याशी विशाल केलकर के खास सिपहसालार बने अनिल द्विवेदी ने भी कुछ इसी तरह का कृत्य किया है. उन्होंने ईवीएम का बटन दबाने के बाद प्रत्याशी की ओर इंगित करती लाल बत्ती जलने और वीवीपैट मशीन में उसी समय दिखाई गयी चिन्ह की तस्वीर खींचकर उसे सोशल मीडिया में वायरल किया है. इन दोनों खास समर्थकों के कृत्य ने जहां उक्त मतदान केंद्र की व्यवस्था की पोल खोली है.
वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार जिला निर्वाचन विभाग द्वारा मतदान केंद्रों में बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियों के क्रियान्वयन की पोल खोली है. इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन दोनों कार्यकर्ताओं पर क्या उनके ही आका का भरोसा नहीं रहा जो उन्होंने मतदान करते वक्त वीडियो बनाई, फोटो खींची और निष्ठा साबित करने के लिए उसे सोशल मीडिया में भी सार्वजनिक किया.
इस मामले में हालांकि अभी तक जिला निर्वाचन की ओर से किसी तरह की कार्रवाई करने या संज्ञान में लेने की बात सामने नहीं आई है. अब देखना है कि चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में जहां नियम-कायदों को काफी गंभीरता से लिया जाता है, इन दोनों के विरुद्ध कार्रवाई आदर्श आचार संहिता के परिप्रेक्ष्य में की जाती है या नहीं.