पुणे। आज पुणे में दो समूहों में हुई हिंसा में एक शख्स ने अपनी जान गंवा दी. 200 साल पुरानी हुई लड़ाई पर ऐसा संग्राम आज देखने के लिए मिला, जिसने कईयों को घायल कर दिया, एक की मौक हो गई, वहीं दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया.
दरअसल 200 साल पहले अंग्रेजों ने 1 जनवरी के दिन जो लड़ाई जीती थी, उसका जश्न पुणे में मनाया गया. सोमवार को शहर में कोरेगांव भीमा की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई गई. 1 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना को हरा दिया था. इस लड़ाई में अंग्रेजों की तरफ से दलितों ने भी लड़ाई लड़ी थी. जीत के बाद अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा की याद में जयस्तंभ बनवाया था. इस जीत का जश्न मनाने के लिए दलित समुदाय के लोग हर साल शहर में जमा होते हैं और इस जयस्तंभ तक मार्च करते हैं.
हिंसा के बाद से ही इलाके में तनाव है. जिसके चलते यहां भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है. इधर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कहा कि मामले की निष्पक्ष रूप से जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. देवेन्द्र फडणवीस ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार ने मृतक के परिवारवालों को दस लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने का ऐलान किया है.
गौरतलब है कि इस जश्न में शहरभर से लाखों लोग जमा हुए थे. ये आयोजन रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया ने करवाया था. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पिछले 200 सालों में ये जश्न होता आ रहा है. लेकिन आज तक कभी हिंसा नहीं हुई.
भीमा-कोरेगांव की लड़ाई
भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. इसमें अंग्रेजों ने पेशवा द्वितीय के खिलाफ लड़ाई जीती थी. इस लड़ाई में सैनिकों के साथ कुछ महार भी शामिल थे. महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए.