Viral Desi Jugaad: जुगाड़ हम इंडियंस की खासियत है. जहां कुछ और न चले वहां जुगाड़ से काम चला लेते हैं. अपना काम निपटाने के लिए कोई न कोई जुगाड़ निकाल ही लेते हैं चाहे लोग उस पर हंस-हंस कर लोटपोट क्यों ना हो जाएं. लेकिन क्या आप ये स्वीकार करेंगे कि यही जुगाड़ अगर सही दिशा में इस्तेमाल किए जाएं तो भारत दुनिया का सबसे अमीर देश बन सकता है.

इसी एक जुगाड़ में असम के मोरियाबारी में रहने वाले मोहम्मद फजलुल हक की है जो एक मैकेनिक हैं. इन्होंने धान की थ्रेशर मशीन विकसित की है, उन्होंने ऐसी मशीन बनाई है जो धान की भूसी को टुकड़े-टुकड़े करके अलग नहीं करती बल्कि पूरे भूसी को ही धान के दानों को अलग कर देती है.

जानें थ्रेसर मशीन की खासियत

यह कहानी असम के मोरियाबारी में रहने वाले मोहम्मद फजलुल हक की है जो एक मैकेनिक हैं. इन्होंने धान की थ्रेशर मशीन विकसित की है, उन्होंने ऐसी मशीन बनाई है जो धान की भूसी को टुकड़े-टुकड़े करके अलग नहीं करती बल्कि पूरे भूसी को ही धान के दानों को अलग कर देती है. इस थ्रेसर मशीन की एक और खासियत ये भी है कि यह सिर्फ सुखे धान से ही भूसी को अलग नहीं करती बल्कि गिले धान से भी उतने ही अच्छे से भूसी को अलग करती है.

भूसी का चारे के तौर पर इस्तेमाल

फजलुल के मुताबिक उनके मशीन का इस्तेमाल करने से धान की भूसी साबुत में बच जाती है. इससे भूसी का पोषण बरकरार रहता है जिस वजह से उस भूसी को पशुओं के चारे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है या किसान उसे बेच भी देते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि इस मशीन को इलेक्ट्रिक मोटर या ट्रैक्टर से जोड़कर आसानी से चलाया जा सकता है. ये मशीन प्रति घंटे तीन सौ किलो धान की सफाई कर सकती है.

थ्रेसर की कीमत है 35 हजार रुपये

कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये उपकरण इस इलाके में देसी रूप में तैयार किया गया पहली थ्रेसर मशीन है. इस इलाके के धान उत्पादक किसानों के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं है. वहीं फजलुल ने बताया कि वे अभी तक लगभग 75 थ्रेसर मशीन बना कर बेच चुके हैं. किसानों के बीच इस मशीन की बहुत मांग है क्योंकि इसकी कीमत 35 हजार रुपये हैं.