वेंकटेश द्विवेदी, सतना। सतना में इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई है। गांव में सड़क न होने पर लोग मरीज को खाट पर लिटाकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचे। हालांकि ग्रामीणों की ये मेहनत भी मरीज की जान महीं बचा सकी। मरीज को समय पर इलाज नही मिल सका और रीवा संजय गांधी अस्पताल (Rewa Sanjay Gandhi Hospital) में उसकी मौत हो गई। मानवता को झंझकोर देने वाली तस्वीरें मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल (Minister of State for Panchayat and Rural Ramkhelawan Patel) के विधानसभा क्षेत्र से सामने आई है। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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सतना के अमरपाटन इटमा खजुरी ताल से शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। गांव में सड़क न होने से कच्चे कीचड़ भरे रास्ते से ग्रामीण एक मरीज को चार पाई में लिटाकर ले जाते दिख रहे हैं। वक्त रहते दवा इलाज न मिलने से अस्प्ताल में मरीज की मौत हो गई।

दरअसल अमरपाटन तहसील के इटमा खजुरी ताल की धतुई गाँव में 22 वर्षीय राजू दहायत ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी, जिसे बचा लिया गया। आननःफानन परिजन ग्रामीणों की मदद से उसे खाट पर लिटाकर चार कंधों की मदद से कच्चे कीचड़ भरे कई किलोमीटर रास्ते से मुख्य मार्ग तक ले गये। इससे राजू की हालत नाजुक बन गई। समय पर दवा इलाज न मिलने से रीवा के संजय गांधी अस्पताल में इलाज के दौरान राजू दहायत की मौत हो गई। शर्मसार करने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही है।

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आजादी के 75 साल बाद भी गांव में नहीं पहुंची सड़क

आजादी के बाद से धतुई गांव एक आदद सड़क के लिए से महरूम है। बारिश में बीमारी कयामत बनकर आती है। बीमार की किस्मत अच्छी हुई तो अस्पताल पहुंचे वरना मौत की आगोश में चले गये। गांव तक अगर सड़क होती तो एंबुलेंस य वाहन आसानी से गांव तक पहुंच सकते थे। ग्रामीणो को नारकीय जिंदगी से बचाया जा सकता था लेकिन ऐसा हो न सका।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री इसी विधानसभा से हर बार जीतते हैं

बता दें कि यह वही अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र है, जहां से प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल जीत कर आते हैं। मंत्री मिनिस्टर बनते हैं, लेकिन यहां की विकास की बानगी आप अपनी आंखों से देख सकते हैं। आजादी के बाद से इटमा खजुरी ताल की धातुई पंचायत को बुनियादी सुविधा मुहैया ना होने से अपनी बेबसी पर आंसू बहा रही है। ग्रामीण किस्मत और भगवान के भरोसे जीने को मजबूर हैं ।

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