रायपुर. शिक्षाकर्मी आंदोलन के बाद शुरु हुए शीर्ष नेताओं के टकराव फूट में बदल गई है. शालेय शिक्षाकर्मी संघ ने खुद को शुक्रवार से आंदोलन के बने बने शिक्षक पंचायत नगरीय मोर्चा से अलग करने की घोषणा कर दी है. संघ के संचालक मंडल के मुखिया वीरेंद्र दुबे ने लल्लूराम डॉट कॉम से बात में कहा कि वे मोर्चा से अलग होने का निर्णय कर चुके हैं.

वीरेंद्र दुबे ने दूसरे संचालक संजय शर्मा पर बेदह संगीन आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मुलाकात सरेआम सबको बताकर हुई है. संजय शर्मा के पदाधिकारियों को भी इस मुलाकात के बारे में बता दिया गया था. इस पर संजय शर्मा का कहना है कि उन्होंने खुद करीब 5 बजे वीरेंद्र दुबे के पदाधिकारियों को कह दिया था कि मोर्चा अभी सीएम से मिलने के पक्ष में नहीं है. इसलिए वे वहां ना जाएं.

वीरेंद्र दुबे ने संजय शर्मा से पूछा है कि संजय शर्मा अचानक रात को 11 बजे कैसे पहुंच गए. वे तो जेल में थे. लेकिन संजय शर्मा ने गिरफ्तारी से बचने की बजाय आंदोलन को लीड क्यों नहीं किया. क्यों वे छिपते रहे. वीरेंद्र दुबे ने कहा कि पहले भी संजय शर्मा पर कई आरोप लग चुके हैं. वीरेंद्र दुबे का कहना है कि 2008 में संजय शर्मा ने अचानक अपना आंदोलन खत्म कर दिया था जिसके बाद उन पर सांठगांठ के आरोप लगे थे. बात ये भी सामने आई थी कि उन्होंने बेलतरा से विधानसभा टिकट का आश्वासन लिया था. कहीं इस बार भी तो उन्होंने विधानसभा की टिकट का आश्वासन लेकर आंदोलन खत्म नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि ये बेदह विचित्र बात है कि एक दिन पहले संजय शर्मा सर्किट हाऊस में सीएम पर भरोसा जताते हैं और दूसरे दिन सीएम हाऊस जाने पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने बताया कि संजय शर्मा के संगठन के प्रांतीय सचिव मनोज सनाड्य ने वो लेटर ड्राफ्ट किया था जिसमें आंदोलन वापिस लेने का फैसला किया था. उन्होंने कहा कि संजय शर्मा अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं. अगर आंदोलन सफल होता तो श्रेय सबको मिलता और अगर ये खत्म हुआ तो इसका अपश्रेय भी सबका होगा.

उन्होंने कहा कि संजय शर्मा को अगर किसी बात पर आपत्ति थी तो उसे बैठक में रखनी थी. सार्वजनिक तौर पर ये कहने का क्या मतलब था.