वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। जशपुर जिले में 5 साल पहले हुए नाबालिग से रेप के मामले में सुनवाई करते हुए बिलासपुर उच्च न्यायलय ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म के मामले में बहुत सोच विचार कर रिपोर्ट लिखाने निर्णय लिया जाता है। ऐसे में मामला दर्ज कराने में विलंब के आधार पर आरोपी को उसकी सजा में कोई छूट नहीं दी जा सकती है।
जानकारी के मुताबिक जशपुर जिला में रहने वाली 14 वर्षीय पीड़िता 24 दिसंबर 2018 की रात घर में अकेली थी, उसके माता-पिता चर्च गए थे, रात में गांव में रहने वाला 40 वर्षीय आरोपी आया और उसे बलपूर्वक पैरावट में ले जाकर दुष्कर्म किया। आरोपी ने घटना के बारे में किसी को बताने पर जहर देकर जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बाद आरोपी ने कई बार उसके साथ संबंध बनाए। अप्रैल 2019 को पीड़िता की माँ ने उसके चेहरे की रंगत उड़ने पर पूछताछ की, तो पीड़िता ने मां को अपनी आप बीती सुनाई। इधर लड़की की माहवारी रुकने पर आरोपी द्वारा गर्भ समाप्त करने गोली देने की बात की। माँ को जनकारी होने पर उसने 28 अप्रैल 2019 को थाने में रिपोर्ट लिखाई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था।
आरोपी को हुई 20 साल की सजा
गौरतलब है कि पीड़िता के नाबालिग होने पर न्यायालय ने आरोपी को पाक्सो एक्ट में 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील की थी। जिसमें एफआईआर विलंब से होने को मुख्य आधार बनाकर सजा को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा, कि मामले में एफआईआर में थोड़ी देरी हुई है। हालांकि, प्रकरण में साक्ष्यों से यह स्पष्ट है अपीलकर्ता नाबालिग पर बार-बार यौन हमला किया। कोर्ट ने आगे कहा कि जब किसी महिला से रेप होता है तो इसकी रिपोर्ट लिखाने बहुत से पहलुओं पर चर्चा व विचार का निर्णय लिया जाता है। कोर्ट ने पीड़िता के बयान पर्याप्त मानते हुए आरोपी की अपील को खारिज कर निचली अदालत के आदेश को यथावत रखा है।
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