उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल 2027 तक था. स्वास्थ्य कारणों की वजह से उन्होंने राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्‍यागपत्र सौंपा. 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति बने थे. लेकिन बेहद कम लोग यह जानते हैं कि जगदीप धनखड़ सविल परीक्षा पास कर चुके हैं. आईएएस क्‍लीयर करने के बावजूद उन्‍होंने कोई पोस्टिंग नहीं ली. उन्‍होंने वकालत को अपने पेश के रूप में चुना. उन्‍होंने साल 1979 में राजस्थान बार काउंसिल में नामांकन के बाद राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की. वो 1990 में महज 35 साल की उम्र में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सबसे युवा अध्यक्ष बने थे. उसी साल उन्‍होंने सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त किया. उनकी कानूनी विशेषज्ञता ने जगदीप धनखड़ को राजस्थान में जाट समुदाय को OBC का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद की.

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झुंझुनू के गांव से उपराष्‍ट्रपति पद तक का सफर

अपने पॉलिटिकल कैरियर की शुरुआत उन्होंने बतौर लोकसभा सांसद रूप के रूप में की थी. राजस्थान की झुंझुनू सीट से उन्होंने 1989 का लोकसभा चुनाव जीता थाजगदीप धनखड़, भारत के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ और वकील हैं, जिनका जीवन संघर्ष, शिक्षा और समर्पण की मिसाल है. उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के छोटे से गांव किठाना में एक जाट किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता गोकल चंद और माता केसरी देवी ने उन्हें सादगी और मेहनत के मूल्य सिखाए. चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर जगदीप ने बचपन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी लगन ने उन्हें देश के शीर्ष पद तक पहुंचाया.

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रोज 5 किलोमीटर पैदल जाते थे स्‍कूल

जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को झुंझुनू जिला के किठाना में हुआ. 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई. उनकी एक बेटी है जिनका नाम कामना है. जगदीप की प्रारंभिक शिक्षा किठाना के सरकारी प्राथमिक स्कूल में हुई, जहां वे रोज 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. पांचवीं कक्षा के बाद उनका दाखिला घर्धना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ. इसके बाद, उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया, जहां सैन्योन्मुखी शिक्षा ने उनके व्यक्तित्व को निखारा. सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनका चयन IIT और NDA के लिए हुआ, लेकिन उन्होंने इन रास्तों को छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान दिया. जयपुर के महाराजा कॉलेज से भौतिकी में बीएससी (ऑनर्स) और राजस्थान विश्वविद्यालय से 1978-79 में एलएलबी की डिग्री हासिल की. उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास की, लेकिन IAS के बजाय वकालत को चुना.

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राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता और पहली बार सांसद बने. 1990-91 में चंद्रशेखर सरकार में वे संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे. 1991 में जनता दल द्वारा टिकट कटने पर वे कांग्रेस में शामिल हुए और 1993 में अजमेर के किशनगढ़ से विधायक बने. 2003 में वे बीजेपी में शामिल हुए. 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे, जहां उनके और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच मतभेद सुर्खियों में रहे. 2022 में, NDA ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, और उन्होंने 74.37% वोटों के साथ मार्गरेट अल्वा को हराकर जीत हासिल की.

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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ खुलकर बोले धनकड़

गौरतलब है कि, धनकड़ को उनके मुखर स्वभाव के लिए बतौर उप-राष्ट्रपति याद रखा जायेगा। उन्होंने हमेशा हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी है। फिर चाहे भ्रष्टाचार में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR में हो रही देरी की बात हो या फिर संविधान में पूर्व पीएम इंदिरा गाँधी द्वारा जोड़े गए संशोधन की।

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