मध्यप्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट गहरा गया है। ग्रामीणों को बूंद बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। गांव के तालाब, कुएं और हैंडपंप सूख चुके है। लोगों को कई किलोमीटर से मजबूरी में पानी लाना पड़ा रहा। एक बाल्टी पानी के लिए जान जोखिम में डालकर कुएं में उतरना पड़ता है।

दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। मप्र के आदिवासी जिला डिंडोरी में जलसंकट गहराया हुआ है। हालात यह है कि ग्रामीणों को जान जोखिम में डाल कर गहरे कुएं में पानी लेने उतरना पड़ रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार एक टैंकर पानी पहुंचाकर इतिश्री कर लिए।

नजारा डिंडोरी जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत घुसिया का है जहां कहने को नलजल योजना पहुंची है। 10 से ज्यादा कुएं और 7 हैंडपम्प है। कैसे बूंद बूंद पानी के लिए ग्रमीण महिला व पुरुष कुएं के नीचे जोखिम डाल कर रोजाना उतरते हैं। कुएं में रिस रहे पानी को छोटी कटोरी के सहारे बाल्टी के जरिये ऊपर पहुंचाते है। ग्रामीण महिलाओ का कहना है भरी गर्मी हो या रात पानी के लिए कुएं की तकवारी करना पड़ता है। नर्मदा नदी गांव से 3 किलो मीटर है तो वही हैंडपंप से दूरी 1 किलोमीटर से ज्यादा है।

ग्रामीण महिलाओं की मानें तो हालात बारह महीने ऐसे ही रहते है, पर जब जब गर्मी भीषण पड़ती है तो पानी के लिए तरस जाते है। वहीं घुसिया पंचायत की आबादी 10 हजार से ज्यादा है और मजरे टोले की संख्या 12। अब ऐसे में एक दिन में गांव में एक ही टैंकर पहुंचते है तो कितने ग्रामीणों की प्यास बुझा सकेंगे। महिलाओं का कहना है कि जब तक पानी नहीं मिलेगा तब तक इस पंचायत चुनाव में वोट नहीं देंगे। भले ही डिंडोरी जिला में दोनों विधानसभा क्षेत्र के विधायक कांग्रेस है पर ध्यान कोई नहीं देता है।

रेणु अग्रवाल, धार। भीषण गर्मी में जिले के ग्रामीण अंचलों में इन दिनों पानी की समस्या को लेकर लोग परेशान हैं। जिले के मनावर तहसील की ग्राम पंचायत भेंसावद में पानी की समस्या को लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क पर उतर आई और चक्काजाम कर दिया। सिंघाना गंधवानी मुख्य मार्ग को महिलाओं के द्वारा बंद कर दिया गया। किसी को निकलने नहीं दिया। महिलाएं लगभग 3 घंटे तक पानी की समस्या को लेकर सड़क पर बैठी रहीं।सिंघाना पुलिस मौके पर पहुंचीऔर महिलाओं को समझाइश दी, लेकिन महिलाएं नहीं मानी। मौके पर नायब तहसीलदार पहुंचे और महिलाओं को मनाया गया।

जानकारी के अनुसार इस गांव की आबादी 700 है। यहां सरकार की नल जल योजना के तहत सुविधा नहीं मिली है। ग्रामीण हैंडपंप व कुएं पर निर्भर थे।भीषण गर्मी के चलते पानी के स्त्रोत सूखने से ग्रामीणों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के पहले सरपंच और सचिव ने कोई उपाय नहीं किए जिसके चलते ग्रामीण जल संकट से जूझ रहे हैं। आज महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा और वह सड़क पर आ गई। यह खबर गांव से ही आयी है इसमे byte में id नही है

इधर धार जिले के नालछा विकासखंड की ग्राम पंचायत करमतलाई के मजरे सांवरिया में ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रही है। गांव सामरिया पहाड़ी पर बसा है। यहां के लोगों को पानी के लिए 2 किलोमीटर दूर 1000 फीट गहरी खाई में उतरना पड़ता है। वहां पास पास स्थित दो झिरी में पानी एकत्रित होता है इसमें महिलाएं छोटे-छोटे बर्तनों पानी भरती है। इस प्रकार एक घड़ा को भरने में 1 घंटे लगता है। इसके बाद यह महिलाएं सिर पर बर्तन रखकर पहाड़ी चढ़ती है। 2 किलोमीटर दूर गांव पहुंचती हैं। इसमें 4 किलोमीटर पैदल आने-जाने में ग्रामीणों का पूरा दिन बिगड़ जाता है। नल जल योजना की सौगात गांव को मिली जरूर है लेकिन उसमें अभी भी पानी नहीं मिल रहा है। गर्मी के दिनों में पीने के पानी को लेकर वनवासी क्षेत्र के लोगों की परेशानी शुरू हो जाती है।

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