रायपुर.जलसंसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने आज मंत्रालय में विभाग के अधिकारियों की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक ली. आठ घंटे चली मैराथन बैठक में बोरा के अंदाज काफी तल्ख थे.बैठक में उन्होनें एक निर्माणकार्य की प्रगति की वास्तविक स्थिति के बारे में दो संबंधित अधिकारियों से अलग-अलग जानकारी मिलने पर नाराजगी जतायी. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इस मामले में नोटिस जारी करने के निर्देश दिए. बोरा ने वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की प्रगति पर भी असंतोष व्यक्त किया और इन योजनाओं को शुरू करने के लिए विभागीय कार्रवाई में गति लाने के निर्देश दिए.

बोरा ने कहा कि भविष्य में विभागीय समीक्षा बैठकों में विभाग के मैदानी अधिकारी सही एवं पूरी जानकारी के साथ उपस्थित होना सुनिश्चित करें. राज्य स्तरीय समीक्षा बैठकों के पहले मुख्य अभियंता अपने अधीनस्थ कार्यालयों के अधिकारियों की बैठक लेकर सम्पूर्ण जानकारी तैयार करेंगे. राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में दी जाने वाली जानकारी तथ्यात्मक होनी चाहिए. लगभग आठ घण्टे तक चली बैठक में प्रमुख अभियंता एच.आर. कुटारे, ओ.एस.डी. झा सहित विभाग के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालन अभियंता उपस्थित थे.
बोरा ने बैठक में नाबार्ड के साथ-साथ केन्द्र शासन और राज्य शासन से स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की. उन्होंने सबसे पहले नाबार्ड से मिली आर्थिक सहायता से बन रही सिंचाई योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की.उन्होनें बैठक में कहा कि समीक्षा बैठकों में सिंचाई योजनाओं की प्रगति की जानकारी जमीनी हकीकत पर आधारित होनी चाहिए. बैठकों में दी जाने वाली जानकारियों के आधार पर स्थल निरीक्षण कर सिंचाई योजनाओं की प्रगति की वास्तविकता का पता लगाया जाएगा. इसके आधार पर एक रिपोर्ट भी तैयार होगी.बोरा ने चेतावनी दी कि  बैठकों में दी गई जानकारियां और वस्तु स्थिति में अंतर पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.उन्होनें नाबार्ड सहायता प्राप्त योजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के लिए नाबार्ड के अधिकारियों के साथ  नियमित बैठकें करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को सिंचाई योजनाओं में भू-अर्जन और मुआवजा के प्रकरणों के निराकरण के लिए नियमित समीक्षा बैठक लेनी चाहिए. वरिष्ठ अधिकारी मौके पर जाकर काम-काज की जानकारी लेंगे तो निचले स्तर के अधिकारी भी और अधिक सक्रियता से सिंचाई योजनाओं को पूरी कराने में विशेष ध्यान देंगे.
सचिव ने आगामी मार्च माह तक नाबार्ड को लगभग 325 करोड़ रूपए की ऋण राशि की प्रतिपूर्ति करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 के कार्यों को पूर्ण कराने विशेष ध्यान देने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया.इसके अलावा बोरा ने विभागीय मद से स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने विभागीय मद से स्वीकृत, निर्माणाधीन और अपूर्ण सिंचाई योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली.इसके साथ ही बोरा ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में स्वीकृत प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर दस दिन के अंदर मंत्रालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सिंचाई योजनाओं से संबंधित भू-अर्जन के प्रकरणों और वन प्रकरणों का निराकरण समय-सीमा में किया जाना चाहिए और साथ ही निर्माणकार्यों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये.