रायपुर. रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में किराए के टैंकर का प्रयोग करने के मामला उठते ही हंगामा मच गया.

बैठक में उपनेता प्रतिपक्ष रमेश सिंह ठाकुर ने मामला उठाते हुए कहा कि निगम के पास 26 पानी के टैंकर उपलब्ध हैं, इसके बावजूद पानी की आपूर्ति के लिए पांच टैंकर किराए पर लिया गया, जिसके लिए लगभग 56 लाख रुपए किराए के दिए गए. उपनेता प्रतिपक्ष द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद जल समिति के अध्यक्ष नागभूषण राव ने जवाब देते हुए कहा कि इस मामले पर पुनः जल समिति की बैठक कर फैसला दिया जाएगा, साथ ही कार्रवाई करते हुए एफआईआर भी दर्ज कराया जाएगा.

उप नेता प्रतिपक्ष ने महापौर पर निशाना साधते हुए कहा कि 18 फरवरी को यह प्रकरण सामने आया था, आज दिनांक में 5 दिनों बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जब निगम के पास टैंकर उपलब्ध थे तो आखिर पांच अन्य टैंकर किराए पर लिए जाने की आवश्यकता निगम को क्यों हुई. उन्होंने कहा कि इसमे 56 लाख की आर्थिक अनियमितता सामने आई है, बात को ग़ुमराह किया जा रहा है, दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है, टैंकर लेते समय ही रेजिस्ट्रेशन हो जाता है. टैंकर लेने में कई जल्दबाज़ी, ये कम्भीर विषय है. इसके जिम्मेदार महापौर हैं, और कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मामले पर महापौर प्रमोद दुबे ने कहा जो पांच टैंकर आए हुए थे, उन गाड़ियों का पंजीयन नहीं हुआ था जिसके कारणों का पता लगाया जा रहा है. इस मामले पर जांच चल रही है. जल्द ही इसकी रिपोर्ट भी आ जाएगी. इसमें 3, 5 या 7 दिन हो सकता है, लेकिन इस मामले का निराकरण जल्द होगा.

महापौर के पास न कोई योजना, न कोई एजेंडा

बजट पेश न करने को लेकर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर ने महापौर प्रमोद दुबे पर निशाना साधते हुए कहा कि महापौर के पास न कोई योजना है और न कोई एजेंडा. महापौर बजट पेश करने से भाग रहे हैं. आचार संहिता लगने वाली है, उन्हें भय है कि पहले की घोषणा में कार्य नहीं हुआ, इसलिए बजट पास नही होने के डर से इस बार बजट पेश नहीं किया जा रहा है.

बजट को फाड़ दिया या फिर गिरा दिया

नेता प्रतिपक्ष के बयान का महापौर ने जवाब देते हुआ कहा कि एमआईसी का बजट अंगीकृत होता है, सभी सदस्यों से चर्चा की जाती है. इसकी समय सीमा यही होती है कि फरवरी में तय की जाती है. बजट पेश किया जाता है, तो उसे इनके पार्षद फाड़ देते हैं, या बजट को गिरा देते हैं. कोई एक बात होनी चाहिए. यदि गिराने की बात करते है तो आप विकास की नहीं सोचते. हम सुझाव के लिए सदन में आते हैं, सदन में चर्चा करने के बजाए वाद-विवाद कर रहे हैं.