इटली. क्या हो अगर आप अपने दादी-दादा को मरने के बाद एक पेड़ के रूप में गले लगा सकें? यह सोच ही रोमांचित कर देती है. ऐसे ही एक कॉन्सेप्ट वीडियो में मृत इंसानों को ताबूत में दफनाने या जलाने की जगह एक पेड़ बनाने का आइड‍िया काफी वायरल हो रहा है. शवों को दफनाने या जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए इटालियन डिजाइनर राउल ब्रेटजेल और एना सिटेली ने एक इनोवेटिव आइड‍िया है. उनके इस आइड‍िया का नाम है कैप्सुला मुंडी.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार कैप्सुला मुंडी एक बायो प्लास्ट‍िक का खोल यानी ताबूत है. इस ताबूत को मिट्टी के अंदर दफनाया जा सकता है. हालांकि यह ताबूत सामान्य ताबूत की तरह मिट्टी में तब्दील होने में दशकों का समय नहीं लेता है, बल्कि कुछ ही महीने के अंदर यह ताबूत मिट्टी में तब्दील हो जाता है और शव भी डिकंपोज होने लगते हैं. साथ ही इस ऑर्गेनिक ताबूत के साथ एक पेड़ या बीज को भी लगाया जाता है, जिससे कि वह आपको मरने के बाद पेड़ में तब्दील कर देंगे.

मरने के बाद शरीर को ताबूत यानि कॉफिन में रखकर दफनाया जाता है, वैसे ही आर्गेनिक ताबूत में मृत शरीर को रखकर उसमें पेड़ उगाने का प्रोसेस किया जाता है. शव के डिकंपोज होने के बाद निकलने वाले मिनरल से नए पेड़ को बढ़ने के लिए जरूरी ऊर्जा और पोषण म‍िलता है. यह ऑर्गेनिक ताबूत जीने कैप्सुला मुंडी काफी ईकोफ्रेंडली हैं. न ही इन्हें बनाने में ढेर सारी एनर्जी वेस्ट होती है और न ही यह डिकंपोज होने में ज्यादा समय लेते हैं. इसके खोजकर्ताओं का मानना है कि अगर ऐसे कई सारे शव एक जगह दफनाए जाएं तो सूने कब्र‍िस्तान की जगह एक जंगल उगाया जा सकता है, इससे पर्यावरण और हरी भरी हो सकती है.

इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए लोगों ने कहा कि साथ ही लोग अपने परिजनों को एक पेड़ के रूप में गले लगा सकेंगे और उनकी छांव में बैठ कर समय बिता सकेंगे. लैट‍िन लैग्वेज के शब्द केप्स्यूला मुंडी का मतलब भी है कि शरीर का प्रकृति के तीन तत्वों में बंट जाना. इसमें शव को दफनाने का तरीका भी अलग होगा. शव को सीधे न रखकर उसे ऑर्गेनिक पॉड में बिल्कुल उसी प्रकार रखा जाएगा जैसे गर्भस्थ शिशु गर्भ में होता है. इससे भी ऐसा लगेगा जैसे पेड़बनकर उन्हें नया जन्म मिल रहा हो. वहीं पेड़ के बढ़ने पर उसकी जड़े शव को अपने साथ तब तक बांधे रखेगी जबतक वह पूरी तरह डिकंपोज न हो जाए.

इटालियन डिजाइनर राउल ब्रेटजेल और एना सिटेली को यह आइड‍िया 2003 में आया था. इटालियन डिजाइनर राउल ब्रेटजेल और एना सिटेली ने इस प्रोजेक्ट के पहले फेज की शुरुआत राख के साथ की है. शवों को जलाने के बाद उनकी राख भरकर इन ऑर्गेनिक पॉड(ताबूत को) दफनाया जा रहा है. लोगों को जागरूक करने के बाद शवों को दफनाने वाले ऑर्गेनिक पॉड को लॉन्च करने की योजना है. वैसे इस प्रोजेक्ट पर कुछ सवाल भी उठाए गए हैं, जैसे शवों में मौजूद दांतों से मर्क्यूरी(पारा) प्रदूषण कर सकता है.

वहीं इस प्रोजेक्ट के कानूनी रूप से मान्यता मिलने पर भी सवाल है. ज्यादातर देशों में शवों को दफनाने या जलाने के संबंध में कई तरह की धारणाएं हैं. ऐसे में इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि पश्च‍िमी देशों में लोग ग्रीन ब्यूर‍ियल(Green Burial ) को लेकर जागरूक हुए हैं. ऐसे में अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में इस तरह के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन इटली जैसे पारंपरिक देश में इसे कानूनी मान्यता मिलना मुश्क‍िल है. हालांकि वहां भी प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों ने सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया है. वहीं सांस्कृतिक और धार्मिक दीवारों को तोड़कर इस प्रोजेक्ट को भारत जैसे देशों में आने में काफी समय लग सकता है. आपको बता दें कि भारत में अब भी शवों को जलाने में हजारों टन लकड़‍ियों का इस्तेमाल किया जाता है.