भारत ने मंगलवार को कहा कि दुनिया को आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) दिखानी चाहिए। इसके अलावा, भारत ने यह भी कहा कि इसको उचित नहीं ठहाराया जा सकता और इसे छिपाया नहीं जा सकता। इसके अलावा शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दो टूक रखते हुए कहा कि, “आतंकवाद के खिलाफ भारत के पास अपने नागरिकों की सुरक्षा करने का अधिकार है, ऐसा हमने करके दिखाया है और आगे भी करेंगे।”
जयशंकर ने एससीओ से भी आग्रह किया कि वह आतंकवाद को लेकर जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाये। बता दें इस बार एससीओ की अध्यक्षता इस साल रूस कर रहा है। नये अध्यक्ष की अगुवाई में एससीओ के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक थी सदस्य देशों के बीच सहयोग के एजेंडे पर विमर्श हुआ है।
आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख
जयशंकर ने चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, भारत समेत दस सदस्यीय इस संगठन में सुधार करने और इसे अत्याधुनिक बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि, भारत एससीओ में सुधार केंद्रित एजेंडे के समर्थन में है।
संगठित तौर पर होने वाले अपराध, मादक द्रव्यों के कारोबार और साइबर सिक्योरिटी को रोकने के लिए इस संगठन की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों का हम स्वागत करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एससीओ की भाषा अंग्रेजी करने के बारे में प्राथमिकता से कदम उठाने की अपील की। अभी एससीओ की आधिकारिक भाषा चीनी और रूसी है।
पुतिन की भारत यात्रा पर चर्चा
जयशंकर ने जिस तरह से पाकिस्तान के विदेश मंत्री के समक्ष ही आतंकवाद का मुद्दा मुखर तौर पर उठाया है वैसा ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने सितंबर, 2025 में चीन के शहर तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर करारा हमला किया था। तब पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ सामने थे।
जयशंकर सोमवार को मास्को एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए गए हैं। उनकी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात भी हुई है। जयशंकर ने बताया है कि जल्द ही रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर आने वाले हैं, जिसके एजेंडे के बारे में लावरोव से विमर्श हुआ है।
2017 में संगठन के स्थायी सदस्य बने भारत-पाकिस्तान
एससीओ का गठन 2001 में शंघाई में किया गया था। इसकी स्थापना एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने। जुलाई 2023 में भारत की मेजबानी में आयोजित इस समूह के एक ऑनलाइन सम्मेलन में ईरान इसका स्थायी सदस्य बना।
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