स्पोर्ट्स डेस्क- इन दिनों भारतीय क्रिकेट में घरेलू क्रिकेट का रोमांच चल रहा है जहां रणजी ट्रॉफी के मैच चल रहे हैं, जहां खिलाड़ी अपना दम दिखाने में लगे हुए हैं।

रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान ही आज एक ऐसी घटना घटी जो काफी सुर्खियों में है, दरअसल रणजी ट्रॉफी में ही आंध्रा और बंगाल के बीच मैच खेला जा रहा है, आज मैच का दूसरा दिन था, और खऱाब रोशनी की वजह से मैच रुका हुआ था, तभी एक ऐसी घटना घटी जो तुरंत ही सुर्खियों में आ गई।

खबर है कि राष्ट्रीय सेलेक्टर देवांग गांधी को गुरुवार के दिन भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल के उल्लंघन के लिए बंगाल रणजी टीम के ड्रेसिंग रूम से बाहर जाने के लिए कह दिया गया। और ये तब हुआ जब मैच खराब रोशनी की वजह से रूका हुआ था तभी देवांग गांधी टीम फिजियो से मिलने के लिए पहुंच गए थे।

बंगाल के पूर्व कप्तान मनोज तिवारी ने जब भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल की बात की जिसके बाद बीसीसीआई के भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी सोमन कर्माकर ने गांधी को ड्रेसिंग रूम से बाहर जाने के लिए कहा।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल के मुताबिक केवल खिलाड़ी औऱ टीम के सहयोगी स्टाफ ही ड्रेसिंग रूम में रह सकते हैं।हलांकि इन आरोपों को दवांग गांधी ने सिरे से खारिज कर दिया है।

मनोज तिवारी ने कहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करना चाहिए, एक राष्ट्रीय सेलेक्टर बिना अनुमति के ड्रेसिंग रूम में नहीं घुस सकता है, केवल खिलाड़ी और टीम अधिकारी ही ड्रेसिंग रूम में प्रवेश कर सकते हैं।

इस पूरे मामले में देवांग गांधी का कहना है कि उन्होंने ड्रेसिंग रूम में जाने से पहले भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी की परमीशन ली थी। साथ ही उन्होंने कहा है कि उन्होंने सभी प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया है, बंगाल के कोच अरुण लाल ने ड्रेसिंग रूम में बुलाया था, वो मेरे पहले कप्तान थे, मेरी पीठ में दर्द है और इसलिए मैंने अनुमति ली और बंगाल के फिजियो से चिकित्सा कक्ष में आने को कहा लेकिन लगता है कि मनोज को इससे परेशानी थी।

गौरतलब है कि ड्रेसिंग रूम से एक नेशनल टीम के सेलेक्टर  को बाहर किए जाने की ये खबर काफी सुर्खियों में हैं।