
Pontoon bridge use after Mahakumbh. महाकुंभ का समापन हो चुका है. इस दौरान संगम में 67 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. बड़ी संख्या में लोगों ने मेले का लाभ लिया. त्रिवेणी में स्नान के साथ भक्तों ने संतों का दर्शन भी किया. 45 दिनों तक चले इस महाआयोजन में आए करोड़ों श्रद्धालु अविस्मरणीय क्षणों को अपने साथ ले गए. इस बीच मेला क्षेत्र में तमाम व्यवस्थाएं की गई थी. लोगों के रहने , खाने, स्वास्थ्य, स्वच्छता, मेडिकल, परिवहन आदि से लेकर हर चीजें स्नानर्थियों को मुहैया कराई गई. अब ये सभी व्यवस्थाएं हटने लगी हैं. इस बीच इन दिनों तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म में एक सवाल छाया हुआ है. वो है, महाकुंभ के दौरान लोगों के आने जाने के लिए बनाए गए पीपा पुल (पांटून ब्रिज) का अब क्या होगा?

पीपा पुल क्या है?
पहले तो ये जानते हैं कि पीपा पुल (Pontoon Bridge) होता क्या है? दरअसल ये एक अस्थाई पुल होता है. जो कि लोहे की मोटी चादरों से बना हुआ एक खोखला सिलेंडर होता है. जिसकी मदद से पुल तैयार किया जाता है. इनका निर्माण प्रयागराज के आसपास के क्षेत्रों में या शहर के कारखानों और अस्थाई परेड ग्राउंड में होता है.
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कैसे बनाया जाता है पुल?
पीपा पुल को पहले क्रेन की मदद से नदी में उतारा जाता है. बाद में हाइड्रोलिक मशीनों से पांटून को सही जगह पर फिट किया जाता है. इसके बाद लकड़ी की मोटी पट्टियों, बलुई मिट्टी और लोहे के एंगल से पुल को और मजबूती दी जाती है. सतह बनाने के लिए लकड़ी के बड़े-बड़े तख्ते रखे जाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो एक पीपा (पांटून) का वजह करीब 5 टन होता है. इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है कि ये 5 टन तक का वजह उठा सकते हैं.

महाकुंभ के बाद पीपा पुल का क्या होगा?
इस बार महाकुंब में कुल 30 पीपा पुलों (Pontoon Bridge) का निर्माण किया गया था. जिसके लिए 3 हजार 308 पांटून का इस्तेमाल किया गया था. जानकारी के मुताबिक इन पुलों को कब से शुरू किया जाएगा. किन पुलों का इस्तेमाल गाड़ियों के लिए होगा, या श्रद्धालुओं के चलने के लिए कौन सा ब्रिज खोला जाएगा, इन सबका निर्णय मेला अधिकारी और एसएसपी लेते हैं. अब महाकुंभ खत्म होने के बाद पीपा पुल को कारखाने में रखा जाएगा. तो वहीं कुछ को ग्राउंड में रखा जाएगा. फिर जरुरत के अनुसार सरकार इसके उपयोग का निर्णय लेती है.
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1874 में बना था पहला पीपा पुल
जानकारी के मुताबिक पीपा पुल बनाने की तकनीक करीब 2500 साल पुरानी है. भारत में पहला पुल 1874 में बनाया गया था. जो कि हावड़ा और कोलकाता के बीच हुगली नदी पर बना था. इसी पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद 3 फरवरी 1943 को कोलकाता का मशहूर हावड़ा ब्रिज बनकर तैयार हुआ.
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