पुरुषोत्तम पात्रा. गरियाबंद. घोर गरीबी, बेइंतहा दर्द, शारीरिक शोषण से परेशान इस नाबालिग की दास्ताँ रुला ही देगी आपको. खेलने-कूदने की उम्र में नाबालिग के माँ-पिता का देहांत हो गया. मुफलिसी में अपने पांच-भाई बहनों को पाल रही नाबालिग से एक आरोपी घर में घुसकर बलात्कार कर देता है. कमार जाति की आदिवासी नाबालिग बलात्कार की शिकायत लेकर थाने पहुँचती है. पता नहीं क्यों फिर भी उसकी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है. इसका जवाब तो अब थाने के ओहदेदार अधिकारी ही बता सकते हैं.

नाबालिग युवती जब पांच महीने की गर्भवती हो जाती है. वह फिर पहुँचती है थाने. मगर इस बार भी उसे थानेदार फ़िल्मी स्टाईल में जवाब देकर भगा देता है. पता नहीं ये पैसे वाला आरोपी किसके शह में मासूम आदिवासी का शारीरिक शोषण करता रहता है. माँ बनने के बाद नाबालिग फिर थाने पहुँचती है. इस बार भी उसकी शिकायत नहीं लिखी जाती है. लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने जब मामले की पड़ताल की तब पुलिस के कान खड़े हो गए.

जब नाबालिग एक बच्चे को जन्म दे चुकी होती है तब जाकर पुलिस वालों की आँख खुलती है कि हाँ! उक्त नाबालिग आदिवासी से बलात्कार हुआ है. आरोपी को गिरफ्तार करने बड़े अधिकारी ने थानेदार को मौखिक आदेश दिया. नाबालिग के बलात्कार के दिन से अब तक लगभग डेढ़ साल बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी ने जुर्म कबूल कर लिया है.

आरोपी को आनन-फानन न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि मीडिया के सवालों से बचने को अब जाकर रिपोर्ट लिख ली गई है. महिला पुलिस ने नाबालिग युवती को थाने बुलाकर बयान भी ले लिया है. इधर माँ बन चुकी नाबालिग सरकार से घर में राशन बढ़ा देने की गुहार लगाती फिर रही है. वह अपने परिवार में सबसे बड़ी है. नाबालिग लगभग 17 साल की है. नाबालिग की इस दर्द की दास्ताँ में सवाल तो अब भी कई हैं. मगर जवाब आखिर कौन देगा…?