पौष माह के खत्म होते ही हिंदू कैलेंडर का 11 महीना माघ शुरू होगा. शास्त्रों में माघ माह को अत्यंत पवत्रि महीना माना जाता है, इस माह में स्नान और दान का खास महत्व है. स्कंद पुराण, महाभारत और पद्म पुराण में माघ महीने की महिमा का गुणगान मिलता है. शास्त्रों में कहा गया है कि माघ माह में गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस पूरे माह में स्नान करने का रिवाज खास तौर पर प्रयागराज, वाराणसी, हरिद्वार और दूसरे तीर्थ स्थानों के साथ पवत्रि नदियों का है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन देवता खुद पृथ्वी पर उतरते हैं. पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. जो लोग माघ महीने में गंगा में स्नान करते हैं. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. सुख-समृद्धि बढ़ती है. प्रयागराज में माघ महीने में माघ मेला लगता है. इस दौरान कल्पवास भी किया जाता है. इस बार माघ माह की शुरुआत 3 जनवरी से होगी. जिसका समापन 1 फरवरी के दिन होगा. इस साल का प्रयागराज में लगने वाला माघ मेला अपने आध्यात्मिक महत्व और दुर्लभ खगोलीय संयोगों के लिए ऐतिहासिक बनने वाला है.

गंगा, यमुना और सरस्वती के​ त्रिवेणी संगम में स्नान के साथ ही देश की अन्य दूसरी नदियों में माघ माह में स्नान का महत्व है. जिसमें ​हरिद्वार में गंगा, वाराणसी में गंगा, उज्जैन में क्षिप्रा, नासिक में गोदावरी, नर्मदा, ताप्ती में माघ माह में स्नान का विशेष फल मिलता है. माघ महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करना देवताओं की पूजा करने के बराबर है.