पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले के मैनपुर ब्लॉक के दूरस्थ अंचल में स्थित प्राथमिक शाला खोखमा में स्कूल के बच्चे शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इन बच्चों की शिक्षा के प्रति ललक इस बात से पता चलती है कि इनका स्कूल भवन धराशायी हो गया, बावजूद इसके इनका हौसला कम नहीं हुआ.
धराशायी हुआ स्कूल भवन
दरअसल खोखमा प्राथमिक स्कूल का भवन बेहद जर्जर था. उसके बावजूद बच्चे जान की बाजी लगाकर यहां पढ़ रहे थे. लेकिन ये भवन धराशायी हो गया. उसके बाद गांववालों ने बच्चों के पढ़ने के लिए झोंपड़ी बनाई. इस झोंपड़ी में ही पिछले 15 दिनों से स्कूल संचालित हो रहा है.
इधर स्कूल परिसर में एक अतिरिक्त कक्षा भी निर्माणाधीन है, लेकिन पिछले 6 सालों से भवन पूरा नहीं होने के कारण बच्चों को स्कूल की बिल्डिंग नसीब नहीं हो पा रही है.
अतिरिक्त कक्ष बनाने का जिम्मा निर्माण एजेंसी संकुल समन्वयक वीरेंद्र बघेल को दी गई थी, लेकिन वीरेंद्र बघेल इसके लिए राशि नहीं मिलने की बात कहकर पल्ला झाड़ते दिखे, वहीं अब भवन नहीं होने की दिक्कत को देखते हुए ग्रामीणों ने एक झोंपड़ी तैयार की है, जिसमें नौनिहाल पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
शिक्षा विभाग मामले से अनजान
इधर पूरे मामले में शिक्षा विभाग अनजान बना हुआ है. प्राथमिक स्कूल खोखमा में फिलहाल 52 बच्चे पढ़ते हैं और यहां 2 शिक्षक पदस्थ हैं. इसका मूल भवन 2005-06 में स्वीकृत हुआ था. इसके निर्माण के लिए तत्कालीन सरपंच चित्रसेन नागेश को जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उन्होंने भवन पूरा नहीं करवाया. इधर अपूर्ण भवन में ही स्कूल संचालित हो रहा था. लेकिन भवन पूरा होने से पहले ही जर्जर होकर धराशायी हो गया.
स्कूल के प्रधानपाठक नरेंद्र मांझी ने संकुल समन्वयक को लिखित में जानकारी देने की बात कही है. वहीं शाला प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष तुकाराम नागेश ने कहा कि अपूर्ण भवन में ही स्कूल संचालित हो रहा था और अब उसके धराशायी होने पर झोंपड़ी में अध्यापन कार्य हो रहा है. इसे लेकर पालक जल्द ही उच्च अधिकारी से मिलेंगे.
इस मामले ने शिक्षा विभाग और प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है. इधर मैनपुर के बीआरसी ए आर टांडिया ने लल्लूराम डॉट कॉम से कहा कि उन्हें लल्लूराम डॉट कॉम से ही खबर की जानकारी हुई है. उन्होंने कहा कि संकुल समन्वयक ने किसी भी तरह की जानकारी उन्हें नहीं दी है. उन्होंने कल ही स्कूल के निरीक्षण और समस्याओं को दूर करने की बात कही.