भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जिनका गांधी परिवार से बेहद घरेलु रिश्ता है। रिश्ता इतना करीबी है कि उन्हें इंदिरा गांधी अपना तीसरा बेटा मानती थीं। कमलनाथ ने 15 साल का सूखा खत्म कर मध्य प्रदेश में कांग्रेस को स्थापित किया था। हालांकि कुछ महीनों तक सरकार चलने के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल होकर सरकार गिरा दी। 

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स्कूल में संजय गांधी से हुई थी दोस्ती 

कमलनाथ की दोस्ती संजय गांधी से स्कूल के समय में हुई थी। देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से दोनों ने पढ़ाई की थी और इसी दौरान दोनों की दोस्ती हुई। कमलनाथ का नाम टॉप नेताओं की लिस्ट में शुमार रहता है। 

उत्तर प्रदेश में 18 नवंबर 1946 को जन्में कमलनाथ के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे। संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती के बारे में एक किस्सा भी मशहूर है कि ‘जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार थी तब एक मामले में संजय गांधी को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। तब इंदिरा गांधी को संजय गांधी की सुरक्षा की चिंता थी. ऐसे में कमलनाथ, संजय गांधी के पास जेल जाने के लिए जानबूझकर एक जज से भिड़ गए थे। जिसके बाद अवमानना के आरोप में कमलनाथ को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।’

ऐसा है राजनीतिक सफर 

 कमलनाथ 1979 में पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में वे लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री, 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से 2014 तक शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे। उन्होंने भारत की शताब्दी एवं व्यापार, निवेश, उद्योग नामक पुस्तक भी लिखी है। 

2018 में मध्य प्रदेश में ख़त्म किया कांग्रेस का सूखा 

कमलनाथ ने 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी कराई थी। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई थी और 15 साल बाद सत्ता में आई थी। उस वक्त कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे। 

कमलनाथ को कांग्रेस में कई प्रभार दिए गए। उन्होंने 1976 में यूपी युवा कांग्रेस के प्रभारी के रूप में काम किया। इसके बाद 1970 से 1981 तक वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद वह 2000 से 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे। बाद में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का दायित्व दिया गया। विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद उन्हें पीसीसी चीफ के पद से हटा दिया गया था। इसके बाद जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश कांग्रेस का नया चीफ बनाया गया।  

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