दिल्ली. भाजपा ने त्रिपुरा में वाम दलों से उसका गढ़ छीन लिया. नागालैंड में भी पार्टी सत्ता में आने की कगार पर खड़ी है लेकिन मेघालय में भाजपा एक शख्स से पार नहीं पा सकी.
आपको बताते हैं कौन है ये शख्स जिसके सामने मोदी मैजिक नहीं चला. मेघालय के मुख्यमंत्री हैं डा. मुकुल संगमा. मुकुल संगमा की कहानी बेहद रोचक है ठीक उनके कामों की तरह. 52 साल का ये दिग्गज पेशे से डाक्टर रहा है. राजनीति में आने से पहले संगमा एक सरकारी डाक्टर के तौर पर काम कर रहे थे. उन्होंने सिर्फ 28 साल की उम्र में अंपतगिरि सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत गए. बस, इसके बाद मुकुल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
डीडी लपांग के इस्तीफे के बाद उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. उन्होंने राज्य में बेहद इनोवेटिक कार्यक्रम जारी किए जिससे वे राज्य में बेहद लोकप्रिय हुए. जिनमें मेघालय हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम जिसमें हर शख्स का हेल्थ इंश्योरेंस किया जाना शामिल है. उसके साथ ही राज्य के युवाओं की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए मिशन फुटबाल कार्यक्रम लांच किया. जो कि राज्य के युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं.
उन्होंने बेहद इनोवेटिव कार्यक्रम राज्य में लांच किए जिसे लोगों ने खूब सराहा. जिनमें अनाथ बच्चियों की शादी के लिए स्पेशल वेडिंग असिस्टेंस कार्यक्रम शुरु किया गया. मेघालय के पहले इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना और शुरु करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
संगमा के इनोवेटिक प्रोग्राम का ही नतीजा है कि मेघालय में उनके नवीन प्रयोगों को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं. जिसके चलते भले ही भाजपा और उसकी टाप लीडरशिप ने राज्य में पूरी ताकत झोंक दी हो लेकिन मुकुल संगमा के सामने भाजपा की एक न चली.
संगमा के बारे में एक खास बात है कि ये भले ही पेशे से डाक्टर रहे हों लेकिन इनके चार बच्चे हैं. बस, संगमा साहब शायद खुद के परिवार के लिए फेमिली प्लानिंग करना भूल गए. मेघालय के राजनीतिक गलियारों में इसे बेहद चटखारे लेकर मजा लिया जाता है. कुछ भी हो लेकिन मोदी मैजिक औऱ अमित शाह के सामने जो शख्स पूरी ताकत से खड़ा रहा वो मुकुल संगमा ही थे.