रायपुर- बीते दो चुनाव में बीजेपी डाॅ.रमन सिंह के चेहरे को प्रोजेक्ट कर चुनाव जीतते रही है, लेकिन चौथी पारी के पहले मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह का पार्टी कार्यकर्ताओं से ये कहना कि इस बात की चिंता मत करो कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? संगठन के नेताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल हुआ यूं कि मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह बीजेपी किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संबोधन दे रहे थे. अपनी बातचीत के आखिरी हिस्से में उन्होंने मोर्चा पदाधिकारियों से कहा कि संगठन को मजबूत करना ही पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इस बात की चिंता किए बगैर कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? सांसद कौन बनेगा ? विधायक कौन बनेगा ?
डाॅ.रमन सिंह ने आगे ये भी कहा कि- जो अच्छा नेतृत्व करेगा, वो बन जाएगा, लेकिन पद की परवाह किए बगैर संगठन की ताकत बढ़ाने की दिशा में काम करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने मोर्चा पदाधिकारियों से मिशन 2018 के बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं को लेकर किसानों के बीच जाए. उन्हें बताए कि बीजेपी सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए क्या किया. बीजेपी किसानों की बेहतरी के लिए काम करने वाला संगठन है.  डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में यदि बीजेपी बीते तीन पारी से सरकार में काबिज है, तो इसमें किसान मोर्चा की बड़ी भूमिका रही है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि मिशन 2018 का बड़ा लक्ष्य पूरा करने में बीजेपी किसान मोर्चा की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
इधर डाॅ.रमन सिंह ने मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? इसकी चिंता नहीं किए जाने की बात कही, तो संगठन के नेताओं के भीतर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. संगठन के पदाधिकारियों के बीच हुई कानाफुसी कहती है कि संगठन की चिंता फिलहाल इस बात को लेकर नहीं है कि मुख्यमंत्री किसे प्रोजेक्ट किया जाएगा, बल्कि इस दिशा में है कि सत्ता को कैसे बचाकर रखा जाए ? शायद यही चिंता छत्तीसगढ़ में सत्ता और संगठन के सबसे बड़े चेहरे डाॅ.रमन सिंह की भी है. संगठन के नेताओं में हुई चर्चा कहती है कि सत्ता में चौथी पारी में आने के बाद मुख्यमंत्री पद पर कई बड़े नेताओं की नजर होगी. ये पहला मौका होगा कि मुख्यमंत्री बनने के लिए दावेदारी हो सकती है. हालांकि संगठन के नेता ये भी कहते सुने गए कि डाॅ.रमन सिंह छत्तीसगढ़ में पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरा रहे हैं, ऐसे में उनकी दावेदारी को चौथी पारी में राष्ट्रीय नेतृत्व खारिज करें, इसकी बात की संभावना कम ही है.