मुंबई। एक तरफ तो सैनिटरी पैड पर जीएसटी को खत्म करने के लिए देशभर में अभियान चलाया जा रहा है. आज भी इस बात पर चिंता जताई जा रही है कि देश की अधिकांश ग्रामीण महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन्स की पहुंच नहीं है, जबकि वो ससुरक्षित, हाईजीनिक और महिला स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है.
लेकिन अब इन सबके बीच अभिनेत्री दीया मिर्जा के एक बयान पर बहस खड़ी हो गई है. दरअसल दीया ने कहा है कि वे सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं, क्योंकि सैनिटरी नैपकिन और डायपर जैसे प्रोडक्ट्स हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.
बता दें कि बॉलिवुड अभिनेत्री दीया मिर्जा सयुंक्त राष्ट्र पर्यावरण सदभावना दूत हैं. वे अपने करियर के शुरुआत से ही पर्यावरण बचाओ मुहिम और कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही हैं. सैनिटरी नैपकिन को लेकर दीया ने साफ किया कि वे पीरियड्स के दौरान सैनिटरी नैपकिन की जगह पूरी तरह से नैचुरल तरीके से नष्ट होने वाले बायोडिग्रेडबल नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. उन्होंने कहा कि ये नैपकिन पर्यावरण के लिहाज से पूरी तरह से सुरक्षित हैं और कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. साथ ही प्राकृतिक तरीके से नष्ट हो जाते हैं.
दीया ने कहा कि अब वे ऐसी किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं करतीं, जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाएं हमेशा पीरियड्स के दौरान सूती कपड़ों का इस्तेमाल करती थीं, लेकिन अब नई तकनीक और आसान प्रोडक्ट्स बाजार में आ जाने के कारण महिलाओं ने उनका इस्तेमाल करना छोड़ दिया है और वे सैनिटरी नैपकिन का यूज करने लगी हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे सैनिटरी नैपकिन से संबंधित एड को भी मना कर देती हैं.
दीया मिर्जा ने महिलाओं से सुरक्षित बायोडिग्रेडबल नैपकिन के इस्तेमाल की अपील की.
गौरतलब है कि अब दीया के इस बयान पर चर्चा छिड़ गई है, क्योंकि पुराने जमाने में महिलाएं जिस तरीके से सूती कपड़ों का इस्तेमाल पीरियड्स के दौरान करती थीं, उनके कारण अक्सर उन्हें इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो जाती थीं. साथ ही वे कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी जूझने लगती थीं. यहां तक कि आज के डॉक्टर्स भी सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल की ही सलाह देते हैं.