रायपुर- भाजपा ने कल देर शाम प्रदेश के 90 विधानसभा सीटों में से 78 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया और बचे हुए 12 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी तय करने की कवायद अभी चल रही है. इन बचे हुए 12 सीटों में लोगों को सबसे ज्यादा दिलचस्पी रायपुर उत्तर की सीट को लेकर है.लोगों की इस सीट पर दिलचस्पी की ठोस वजह भी है,जिसके चलते इस सीट पर उम्मीदवार तय करने में पार्टी के आला नेताओं को भारी असमंजस का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल राजधानी रायपुर में चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं,जो राजनीतिक रुप से बेहद महत्वपूर्ण हैं.इनमें से दो विधानसभा क्षेत्रों पर पार्टी के दो दिग्गज नेताओं का कब्जा रहता है,जिसमें रायपुर दक्षिण को बृजमोहन अग्रवाल और रायपुर पश्चिम को राजेश मूणत की परंपरागत सीट मानी जाती है.इसी प्रकार रायपुर ग्रामीण सीट में साहू मतदाताओं की बहुतायत होने के कारण यह सीट साहू समाज के उम्मीदवारों के लिये अनुकुल मानी जाती है.ऐसे में राजधानी क्षेत्र में रायपुर उत्तर ही एक ऐसी सीट है,जिस पर पार्टी के कई नेताओं की निगाह रहती है.यानि इस सीट पर एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती है.यही कारण है कि इस सीट पर कुछ अच्छे दावेदारों के बीच बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.

पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक रायपुर उत्तर के कई दावेदारों में से प्रदेश चुनाव समिति ने तीन नामों का पैनल  तैयार किया था,जिनमें मौजूदा विधायक श्रीचंद सुंदरानी,आरडीए अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव और पर्यटन मंडल के उपाध्यक्ष केदार गुप्ता का नाम शामिल किया गया था. लेकिन दिल्ली में केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन तीन नामों के अलावा दो और नामों पर भी प्रमुखता से विचार किया गया. केन्द्रीय नेताओं ने पूर्व महापौर सुनील सोनी और संघ से जुड़े वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने के नाम पर भी विचार करने की सिफारिश कर दी,जिससे इस सीट का पेंच फंस गया.

बताया जा रहा है कि प्रदेश के कुछ बड़े नेताओं के साथ साथ दिल्ली के कुछ बड़े नेता सुनील सोनी के लिये लॉबिंग कर रहें हैं. सुनील सोनी वर्तमान में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और पूर्व में ये रायपुर के महापौर रहने के साथ साथ आरडीए के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सुनील सोनी के नाम पर संगठन और सरकार के महत्वपूर्ण लोग सहमति जताते हुए उन्हें उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर रहें हैं.

इसी प्रकार सच्चिदानंद उपासने को प्रत्याशी बनाने के लिये संघ के आला नेता दबाव बनाये हुए हैं. सच्चिदानंद उपासने की आरएसएस में गहरी पैठ है और प्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती है,इसलिये उनको उम्मीदवार बनाने के लिये भी खूब लॉबिंग की जा रही है.

बात श्रीचंद सुंदरानी की करें,तो वे मौजूदा विधायक हैं और सिंधी समाज से एकमात्र विधायक हैं.सिंधी समाज को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है और समाज ने भी एकजुट होकर सुंदरानी को टिकट देने की मांग की है. कुछ समय पहले तक यह चर्चा थी कि सुदरानी की टिकट काटकर कोरबा से अशोक चावलानी को टिकट देकर सिंधी समाज को संतुष्ट कर दिया जाये,लेकिन अब कोरबा से विकास महतो को टिकट मिल जाने के बाद सुदरानी को टिकट देने के लिये दबाव बढ़ गया है.

इनके अलावा संजय श्रीवास्तव और केदार गुप्ता की दावेदारी के लिये भी कई ऐसे मजबूत पक्ष हैं,जिनकी अवहेलना करने के पार्टी को नुकसान की संभावना नजर आती है.ऐसी परिस्थिति में रायपुर उत्तर सीट से टिकट फाइनल करना आलाकमान के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रही है.