प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने एक व्यक्ति की अपनी पत्नी से तलाक मांगने वाली अपील पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। जिसमें उन्होंने कहा कि शराब पीना अपने आप में कूरता नहीं है, अगर इसके बाद असभ्य और अनुचित व्यवहार न किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि मध्यम वर्ग के समाज में अभी भी शराब पीना वर्जित है, और संस्कृति का हिस्सा नहीं है, मगर रिकॉर्ड में दिखाने के लिए कोई दलील नहीं है कि शराब पीने से अपीलकर्ता पति के साथ कैसे क्ररता हुई है।
2015 में रचाई थी शादी
बता दें कि इस जोड़े ने साल 2015 में शादी रचाई थी। दोनों की मुलाकात मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए हुई थी। शादी के बाद कुछ महीने अच्छे से गुजर लेकिन बाद में दोनों के बीच खटपट शुरु हो गई। मामला इतना बढ़ा कि एक साल बाद उसकी पत्नी अपने बच्चे के साथ कोलकाता चली गई। जिसके बाद पति ने राजधानी स्थित फैमिली कोर्ट में रुख किया। जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई। इधर, उसकी पत्नी ने हाई कोर्ट के समक्ष अपील का जवाब नहीं देने का विकल्प चुना। जिसके कारण कोर्ट में एकपक्षीय निर्णय पारित हुआ।
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कोर्ट ने पति के द्वारा दी गई दलील पर गंभीरता से विचार किया और उसके बाद तलाक की अपील को स्वीकार कर लिया।
इस दौरान न्यायालय ने कहा कि पत्नी ने बिना किसी ठोस कारण के अपीलकर्ता पति को छोड़ दिया। प्रतिवादी ने जानबूझकर अपने पति को नजरअंदाज किया। इसी आधार पर तलाक देने का मामला वर्तमान मामले के विशिष्ट निर्विवाद तथ्यों और परिस्थितियों में बनता है। कोर्ट ने पत्नी के गैर-भागीदारी पर विचार विमर्श किया और फैसला सुनाया।
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