दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट की तिहाड़ जेल परिसर से कब्रें हटाने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और फांसी के समय सरकार ने इस पर सोच-समझकर फैसला लिया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद दोबारा नहीं खोला जा सकता।

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कोर्ट ने कहा कि इस तरह का निर्णय केवल सक्षम प्राधिकारी ही ले सकता है और जब तक कोई कानून जेल परिसर में दफन या अंतिम संस्कार को रोकता नहीं है, तब तक अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा, “वहां 12 वर्षों से कब्र है। यह सरकार का निर्णय था। यह फैसला उस समय संभावित परिणामों को ध्यान में रखकर लिया गया था। अब इसे बदलने का सवाल नहीं उठता है।”

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कोर्ट ने कहा कि केवल सक्षम प्राधिकारी ही ऐसे मामलों में निर्णय ले सकते हैं और जब तक किसी कानून के तहत जेल परिसर में दफन या दाह संस्कार पर रोक नहीं है, तब तक न्यायिक हस्तक्षेप अनुचित है। कोर्ट ने टिप्पणी की, “क्या सरकार ने यह फैसला परिवार को शव देने या तिहाड़ जेल के बाहर दफनाने की अनुमति देने के संभावित नतीजों को ध्यान में रखते हुए लिया? यह बहुत संवेदनशील मामला है। कई पहलुओं को ध्यान में रखकर ही सरकार ने निर्णय लिया। क्या अब हम 12 साल बाद उस फैसले को चुनौती दे सकते हैं?”

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याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि यह बात सार्वजनिक है कि दोनों की कम्युनिटी के कुछ लोग बाहर अपराध करते हैं और जेल में कब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित करना आतंकियों का महिमा मंडन करने जैसा है। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील पर आपत्ति जताई और कहा कि याचिकाकर्ता कानूनी पहलुओं तक ही अपनी दलील सीमित रखें। कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता के किस मौलिक या संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है।

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कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता मूल रूप से जेल में दफनाने के खिलाफ हैं, लेकिन यह मामला 2013 का है और अब 2025 में हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि किसी के अंतिम संस्कार का सम्मान किया जाना चाहिए और सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जेल में दफनाने का फैसला किया था। जज ने पूछा, “क्या हम 12 साल बाद इसे चुनौती दे सकते हैं?” हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कब्रें अधिकारियों की सहमति से बनाई गई हैं और जेल कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है। यह राज्य के स्वामित्व वाला स्थान है, जिसे दोषियों को कैद करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

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