लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद. एक ओर जहां डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार पूरा जोर लगा रही है. वहीं बालोद जिले में आज भी ऐसे गांव हैं, जहां मोबाइल का नेटवर्क ढूंढना आसमान से तारे ढूंढना के बराबर है. जिससे केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया की पोल खुलती नजर आ रही है.
बता दें कि, जिले के आदिवासी विकास खंड डौंडी अंतर्गत आने वाले वनांचल क्षेत्र ग्राम पंचायत मरदेल के आश्रित गांव मगरदाह में ग्रामीणों के पास मोबाइल तो है पर मोबाइल में नेटवर्क नहीं है. चित परिचित या रिश्तेदार इन गांव के लोगों से फोन पर संपर्क नहीं कर सकते और जब इन्हें संपर्क करना होता है, तो सबसे पहले गांव से दूर ऊपरी क्षेत्र या पेड़ में चढ़ मोबाइल का नेटवर्क ढूंढते हैं. तब जाकर किसी से बात कर पाते हैं.
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जानकारी के अनुसार, तहसील मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर इस गांव में लगभग 400 की जनसंख्या 70 घर और लगभग 30 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. गांव से स्कूल दूर होने और नेटवर्क की समस्या होने के चलते गांव के लोग अपने बच्चों को हॉस्टल, छात्रावास या स्कूल के आसपास अपने रिश्तेदार के यहां भेजकर पढ़ाते हैं. गांव में इमरजेंसी सेवा की जरूरत पड़ने पर सबसे पहले मोबाइल के नेटवर्क के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है तब जाकर 108, 102 से संपर्क कर पाते हैं.
गांव में मोबाइल का नेटवर्क नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी गांव के पढ़ने लिखने वालों बच्चों को उठानी पड़ती है. जिसका असर उनके शिक्षा पर पड़ता है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब सारे स्कूल, कॉलेज हॉस्टल बंद थे, तो गांव के बच्चे गांव से अलग ऊपरी क्षेत्र या पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क ढूंढ ऑनलाइन पढ़ाई किया करते थे, जो आज भी निरंतर जारी है. जंगल और सुनसान होने के चलते बच्चे ग्रुप में यह तो कभी बच्चे अपने परिजन के साथ यहां पहुंच बैठकर पढ़ाई किया करते हैं. वहीं यह समस्या एक गांव की नहीं, बल्कि आसपास मगरदाह, मरदेल, काकड़कसा, जबकसा, तुमड़ीसुर जैसे अंदरूनी क्षेत्र गांव में बनी हुई है, जो छत्तीसगढ़ सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अनिला भेड़िया का विधानसभा क्षेत्र में आता है.
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