WinZO Founders ED Arrest: ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में अचानक हलचल मच गई, जब प्रवर्तन निदेशालय ने विंजो गेमिंग प्लेटफॉर्म के दो सह-संस्थापकों पवन नंदा और सौम्या सिंह को गिरफ्तार कर लिया. एजेंसी का आरोप है कि कंपनी ने मनी लॉन्ड्रिंग के रास्ते भारी-भरकम रकम इधर-उधर की और खिलाड़ियों के पैसे भी रोककर रखे.
जांच आगे बढ़ी तो सामने आया कि विंजो से जुड़ी करीब 505 करोड़ रुपये की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है. ये राशि बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड के रूप में अलग-अलग जगह निवेश की गई थी.
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ईडी का दावा है कि रियल मनी गेमिंग पर बैन लगने के बाद भी कंपनी ने 43 करोड़ रुपये गेमर्स को वापस नहीं लौटाए. खिलाड़ियों को यह रकम रिफंड मिलनी थी, लेकिन कंपनी ने इसे लंबे समय तक अपने पास रोककर रखा.
इसी आरोप के आधार पर दोनों संस्थापकों को गिरफ्तार कर बेंगलुरु की लोकल अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया गया. अगली सुनवाई कब होगी, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन एजेंसी की जांच का दायरा लगातार बढ़ रहा है.
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विंजो का नाम देश के सबसे बड़े सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स में गिना जाता रहा है. साल 2018 में पवन नंदा और सौम्या सिंह ने इसकी शुरुआत की थी. कंपनी का दावा रहा है कि 100 से ज्यादा कौशल आधारित गेम जैसे कैरम, लूडो, शतरंज और कई पजल गेम उसके ऐप पर उपलब्ध हैं.
भारत में लगभग 25 करोड़ यूजर्स इसे इस्तेमाल करते हैं, जबकि दुनिया भर में इसकी संख्या 250 मिलियन से ज्यादा बताई जाती है.
रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगने के बाद प्लेटफॉर्म ने फ्री मोड पर टीवी एपिसोड, शॉर्ट ड्रामा कंटेंट और कुछ अन्य सेवाएं शुरू कीं, जिनके लिए यूजर्स से शुल्क लिया जाता है. इस ऐप का विज्ञापन क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी तक करते रहे हैं, जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़ी थी.
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हालांकि, इन चमकदार दावों के पीछे उद्योग का काला पक्ष भी लगातार सामने आता रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि देश में हर साल लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खिलाड़ी ऐसे गेम्स में गंवा देते हैं.
कई गेमिंग सर्वर विदेशों में चलाए जाते हैं, जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है. कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पिछले दो वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग में पैसे डूबने के बाद आत्महत्या के मामलों में खतरनाक इजाफा हुआ है, कई राज्यों में यह संख्या 30 तक पहुंच चुकी है.
रियल मनी गेमिंग पर बैन और सख्त कानून आने के बाद भी यह सेक्टर कई तरह की ग्रे-ज़ोन गतिविधियों में उलझा हुआ है. विंजो के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि उस बड़े संकट की झलक है, जिसकी चपेट में 45 करोड़ से अधिक भारतीय किसी न किसी रूप में आ चुके हैं.
जांच अब इस दिशा में बढ़ रही है कि पैसा कैसे घुमाया गया, किस-किस को लाभ पहुंचाया गया और क्या यह कोई बड़े नेटवर्क का हिस्सा था.
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