डौंडी। प्रदेश सरकार विकास के दावों का ढोल पीटने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है, लेकिन दावों की हकीकत अंदरूनी इलाकों में बखूबी देखी जा सकती है. ऐसा ही कुछ डौंडी ब्लॉक के घोटिया में देखने को मिल रहा है जहां स्कूल जाने के लिए रोज बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर बहते नाले से गुजरना पड़ता है. सिर्फ बच्चे ही नहीं उनके शिक्षकों को भी स्कूल जाने के लिए नाले से होकर प्रतिदिन गुजरना पड़ता है.
दरअसल शासन ने जंगल में स्कूल बना दिया लेकिन स्कूल तक पहुंचने का मार्ग बनाना ही भूल गए. जिसकी वजह से यहां प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकंडरी तक के छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन खेखरी नाला से गुजरना पड़ता है. हालात तब और भी बदतर हो जाते हैं जब बारिश के दिनों में यह नाला अपने उफान पर रहता है.
पिछले दिनों नाला उफान में रहने की वजह से छात्र परीक्षा देने स्कूल नहीं पहुंच पाए और परीक्षा को ही स्थगित करना पड़ा. बारिश के दिनों में नियमों के विपरीत स्कूल अवकाश में रहता है. शायद ही प्रदेश में ऐसा और कहीं भी होता हो. बताया जा रहा है कि पिछले 10 सालों से लगातार सैकड़ों बार जनपद पंचायत डौंडी में इसकी गुहार लगाई जा चुकी है. बावजूद इसके यहां पुल बनाने की ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने अब तक सुध नहीं ली. न तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों को और न ही अधिकारियों को ही कोई जन सरोकार है.
लगभग 250 बच्चे घोटिया गाँव , साल्हे, पटेली, पचेड़ा, पेंड्री सहित अन्य क्षेत्रों से पढ़ने आते है. ऐसे में अगर इस नाले में पुल बन जाता है तो बच्चों को होने वाले सभी समस्या से निजात मिल जाएंगे.
कलेक्टर, सांसद से लेकर सीएम के जनदर्शन में लगाई गुहार
ग्राम पंचायत घोटिया की सरपंच ममता मंडावी का कहना है कि सीएम के जन दर्शन मे, कलेक्टर के जन दर्शन में, जनपद पंचायत में, विधायक के पास, सांसद के पास कई दफा फरियाद लगाई गई पर अब तक कहीं से पुल बनाने की स्वीकृति प्रदान नहीं हुई जिसके कारण बच्चों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड रहा है.