दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi Highcourt) ने फिल्म निर्देशक सनोज कुमार मिश्रा (Sanoj Kumar Mishra)को दुष्कर्म के मामले में जमानत दे दी. जस्टिस गिरीश कठपालिया ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत हलफनामे पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया. शिकायतकर्ता महिला ने अपने हलफनामे में उल्लेख किया कि वह सनोज मिश्रा के साथ एक रिश्ते में थी और उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने थे. इसके अलावा, महिला ने यह भी स्वीकार किया कि उसने कुछ विरोधियों के उकसाने पर झूठी शिकायत दर्ज कराई थी.

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सनोज कुमार मिश्रा एक फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने प्रयागराज महाकुंभ के दौरान वायरल हुई मोनालिसा को अपनी फिल्म में भूमिका देने का प्रस्ताव दिया था. मार्च 2025 में उन्हें दिल्ली पुलिस ने बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया था. जस्टिस कठपालिया ने 30 मई को उन्हें जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा कि उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें अभियुक्त को स्वतंत्रता से वंचित करने का कोई कारण नहीं दिखता.

अदालत ने मिश्रा की जमानत मंजूर करते हुए उन्हें 10,000 रुपये के व्यक्तिगत बॉंड और समान राशि की जमानती पर रिहा करने का आदेश दिया. उच्च न्यायालय ने महिला द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के संदर्भ में कहा कि यह यौन अपराधों की झूठी शिकायतों की बढ़ती प्रवृत्ति का एक और उदाहरण है.

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न्यायमूर्ति कठपालिया ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यौन अपराधों से संबंधित झूठी शिकायतें केवल आरोपी को ही नहीं, बल्कि समाज में भी अविश्वास और निराशा का माहौल पैदा करती हैं. इससे वास्तविक पीड़ितों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि समाज उनकी सच्ची शिकायतों पर भी संदेह करने लगता है. इसलिए, ऐसी झूठी शिकायतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है.

जस्टिस कठपालिया ने कहा कि यौन अपराधों की झूठी शिकायतें न केवल आरोपी को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि समाज में निराशा और अविश्वास का माहौल भी बनाती हैं. इससे असली पीड़ितों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि समाज उनकी सच्ची शिकायतों पर भी संदेह करने लगता है. ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है.

मिश्रा के वकील अमित चड्ढा और आमिर चौधरी ने तर्क दिया कि वह और शिकायतकर्ता लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में हैं, जो मुंबई में है. उन्होंने यह भी कहा कि अपराध का स्थान ओरछा है, और चूंकि मामला मध्य प्रदेश से संबंधित है, इसलिए दिल्ली का इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.

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शिकायतकर्ता ने अपने हलफनामे में उल्लेख किया कि वह मिश्रा के साथ एक सहमति आधारित रिश्ते में थी और दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने थे. उसने यह भी स्वीकार किया कि कुछ व्यक्तियों के प्रभाव में आकर उसने शिकायत दर्ज कराई. इसके अलावा, उसने कहा कि यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है.

महिला ने 21 मई 2025 को दिए गए अपने बयान में स्पष्ट किया कि आरोपी ने उसके साथ कभी बलात्कार या अन्य कोई अपराध नहीं किया और पिछले पांच वर्षों से उनके संबंध सहमति से थे. हालांकि, उसने यह भी बताया कि उसने कुछ लोगों के उकसाने पर झूठी शिकायत दर्ज कराई थी.

एसएचओ थाना नबी करीम ने केस की सुनवाई के दौरान बताया कि उन्होंने शिकायतकर्ता और उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्होंने सनोज कुमार मिश्रा के खिलाफ झूठी शिकायत करने की साजिश की थी. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा.

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हाईकोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति संबंधित डीसीपी को भेजने का निर्देश दिया, ताकि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके.

हाईकोर्ट ने 28 मई को महिला से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या आरोपी पर लगाए गए बलात्कार के आरोप सही हैं. इस मामले में सनोज मिश्रा के खिलाफ महिला की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. मार्च में, ट्रायल कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद मिश्रा ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया. उल्लेखनीय है कि अभियोजन पक्ष ने उनकी जमानत याचिका के समर्थन में एक हलफनामा पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है.