सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। महिला एवं बाल विकास के पर्यवेक्षकों ने वेतन विसंगति दूर करने के लिए मंत्री शिव डहरिया के साथ संसदीय सचिव विकास दुबे को ज्ञापन सौंपा. महिला कर्मचारियों ने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि वे आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सम्मानजनक पदों से वंचित हैं. 5200- 20000 वेतन 2400 ग्रेड पे मिलता है, जो समकक्ष शैक्षणिक योग्यता अधिकारियों से काफी कम है. पांचवें वेतनमान से महिला पर्यवेक्षकों का वेतन समकक्ष अधिकारियों से कम कर दिया गया है. इस विसंगति को दूर करने की मांग की गई है.

महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक कल्याण संघ अध्यक्ष रितु परिहार ने कहा कि हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षकों को सम्मानजनक वेतन न देना अन्याय है, छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षकों के वेतन निर्धारण में नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध विसंगति है, हम महिला बाल विकास, कुपोषण, शिक्षा और महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य में बेहतर कार्य करने में अग्रणी होने के साथ-साथ अन्य विभागों को कार्य आधार प्रदान करते हैं और उन्हें सशक्त बनाते है. हमारे प्रयासों से छत्तीसगढ़ में कुपोषण का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम है. महिला सशक्तिकरण हमारे विभाग का मूल कार्य है, लेकिन हम अपने ही विभाग में शोषण के शिकार हैं.

रितु परिहार ने बताया कि हमें 5200- 20000 वेतन 2400 ग्रेड पे मिलता है. जो हमारे समकक्ष शैक्षणिक योग्यता अधिकारियों से काफी कम है. हम कार्यकारी वर्ग के कर्मचारी हैं. पांचवें वेतनमान से हमारा वेतन समकक्ष अधिकारियों से कम कर दिया गया, लेकिन अन्य पदों की तुलना में काम की जिम्मेदारी बढ़ गई. एक तरफ पूरी फील्ड स्तर की जिम्मेदारी पर्यवेक्षकों पर होती है, वहीं दूसरी ओर अन्य समकक्ष अधिकारियों की तुलना में हमारा वेतन कम करना असमानता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि हमारा वेतन निर्धारण अन्यायपूर्ण तरीके से किया गया है, जो महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक समानता के सिद्धांत के खिलाफ है. छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षकों की पदोन्नति के अवसर भी लगभग 6% हैं, इसलिए 94 पर्यवेक्षक इस पद से सेवानिवृत्त होते हैं.

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