दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज दुर्ग जिले के पंजीकृत प्रकरणों की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान महिला प्रताड़ना मामले में आयोग के समक्ष मुख्य अभियंता को उपस्थित होना था, लेकिन अपने वरिष्ठ अधिकारी के अनुमति और जानकारी के बगैर कार्यपालन अभियंता आयोग के सामने पेश हो गया और कहने लगा कि मैं ही मुख्य अभियंता हूं. कार्रवाई के बीच झूठ पकड़ने जाने पर अध्यक्ष ने जमकर मुख्य अभियंता को फोन कर जमकर फटकार लगाते हुए जुर्माना भी लगाया है.

आज महिला आयोग में सुनवाई के लिए 27 प्रकरण रखे गये थे. जिसमें 22 प्रकरणों में ही पक्षकार उपस्थित हुए और 11 प्रकरणों का सुनवाई करने के बाद निराकरण किया गया. जिन प्रकरणों में पक्षकार उपस्थिति नहीं हो पाए, उनके लिए अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है. आयोग द्वारा पति-पत्नी विवाद, दैहिक शोषण, मारपीट, प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, घरेलू हिंसा से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की गई.

आज की सुनवाई में पेश किए गए प्रकरण में मुख्य अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विकास रायपुर द्वारा वाहन चालक के पद पर विज्ञापन जारी किया गया था. इसके लिए आवेदिका ने वाहन चालक के पद पर आवेदन किये जाने पर इन्टरव्यू कॉल लेटर जारी कर ट्रायल भी लिया गया, लेकिन 4 पद वाहन चालक पद रिक्त होने के बावजूद महिला आवेदिका को नियुक्त ना करके विगत 2 वर्षों से यह पद महिलाओं के लिए नहीं था, हम आप की नियुक्ति नहीं कर सकते कहकर 2 वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा था. जिससे महिला आयोग ने सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टया आवेदिका के पक्ष में आदेश दिया गया कि आवेदिका का 2 वर्ष का समय व्यर्थ गया जो की आपत्तिजनक है.

आयोग के समक्ष मुख्य अभियंता को उपस्थित होना था, लेकिन अपने वरिष्ठ अधिकारी के अनुमति और जानकारी के बगैर कार्यपालन अभियंता मुख्य अभियंता के स्थान पर आयोग के समक्ष उपस्थित हुए. इस पर आयोग ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य कार्यपालन अभियंता से मोबाइल पर तत्काल बात कर आपत्ति व्यक्त किया और यह आदेशित किया कि एक जिम्मेदार शासकीय अधिकारी होकर महिला आयोग को गुमराह करने की कोशिश किया गया. उनके इस रवैए के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा का पत्र आवेदक मुख्य अभियंता को प्रेषित किया जाएगा.

आयोग ने यह निर्देशित किया गया कि आगामी तिथि 26 अक्टूबर को आयोग कार्यालय में स्वयं उपस्थित होंगे और साथ में संबंधित अधिकारी भी उपस्थित होंगे. आवेदिका का नियुक्ति पत्र देकर आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे. आवेदिका को आने-जाने का भोजन सहित व हर्जाना भी अनावेदक को वहन करना होगा.

इसी तरह एक प्रकरण में आवेदिका के 3 माह का मासिक वेतन नहीं मिलेने और कार्य स्थल पर प्रताड़ना के कारण महिला ने महिला आयोग में सुनवाई के लिए आवेदन दिया. प्रकरण में अनावेदक आंतरिक परिवाद समिति की कार्यवाही में दोषी पाए गए. जिस पर सम्बंधित विभाग को पत्र जारी कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए. इसी तरह एक अन्य प्रकरण में डॉ आशा मिश्रा अनावेदिका को 4 सदस्य चिकित्सक समिति की रिपोर्ट अनुसार उनके द्वारा मरीज के साथ किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही और कार्य में गैर जिम्मेदारी गलत व्यवहार नहीं पाया गया, जिससे उन्हें दोषमुक्त करते हुए प्रकरण को नस्ती बद्ध किया गया.